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कर्म से पूर्व फल का करें चिंतन

locationबैंगलोरPublished: Sep 10, 2018 12:09:28 am

Submitted by:

Rajendra Vyas

प्रेरक: पुष्पेंद्र मुनि ने पर्युषण पर्व के तीसरे दिन की महत्ता पर प्रकाश डाला

dharm karm

कर्म से पूर्व फल का करें चिंतन

हरेक विचार, वचन और व्यवहार एक बीज की तरह

बेंगलूरु. ईटा गार्डन स्थित स्थानक में पुष्पेंद्र मुनि ने शनिवार को पर्युषण पर्व के तीसरे दिन की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कर्म करते हुए विचार अवश्य करना चाहिए। जो लोग कर्म करते हुए नहीं सोचते उन्हें भोगते हुए सोचना पड़ता है। भोगते हुए शोक न करना पड़े उसके लिए जरूरी है कि व्यक्ति कर्म करने से पहले उसके परिणाम पर विचार जरूर कर ले।
हमारा हरेक विचार, वचन और व्यवहार एक बीज की तरह है जो हम मन की धरती पर बोते हैं। यह बीज बोने का काम निरन्तर बना रहता है। जो बीज बोते समय ध्यान न रखेगा कि बीज किसके बो रहा है तो वही फल काटते समय दुखी भी होगा। कर्म की छाया सदा ही सजग रहती है। इसलिए इस छाया से बचने का एक ही उपाय है और वह है सतत सावधानी रखना। जीवन को पुण्य कर्मों से नन्दन वन बनाएं ताकि जीवन में सुख वैभव बना रहे। यह तभी सम्भव है जब हम दूसरों के जीवन में भी खुशियों के फूल खिला सकें। जो औरों के काम आएगा वही पुण्य के मधुर फल पाएगा। त्रषभ मुनि ने मांगलिक प्रदान की। संचालन विकास सालेचा ने किया।
सिर्फ तन की सुंदरता से नहीं मिलेंगे परमात्मा
चामराजपेट में साध्वी अर्पिता ने कहा कि हम तन को सुंदर बनाने के लिए ब्रांडेड चीजों का उपयोग करते हैं, पर इस तन को सुंदर बनाकर हम परमात्मा को नहीं पा सकते। उन्होंने कहा कि यदि परमात्मा को पाना है तो हाथ से दान करना होगा, कान से प्रवचन को सुनना होगा, मुंह से अच्छे वचन बोलने होंगे, आंख से प्रभु के दर्शन करने होंगे- तभी हमारी आत्मा का कल्याण हो सकता है। साध्वी वीना ने अंतगड़ सूत्र का वाचन किया। इसके बाद महिला मंडल ने नाटिका का मंचन किया। साध्वी वीरकांता ने मंगलपाठ सुनाया।
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