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पर्युषण पर्व परीक्षा के दिन की भांति

locationबैंगलोरPublished: Sep 06, 2018 11:40:33 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

संतों व स्वाध्याय के संदेशों को जीवन में उतारना महत्वपूर्ण

dharm karm

पर्युषण पर्व परीक्षा के दिन की भांति

गोड़वाड़ भवन में रमणीक मुनि के प्रवचन
बेंगलूरु. वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, चिकपेट शाखा के तत्वावधान में गोड़वाड़ भवन में उपाध्याय रविंद्र मुनि के सान्निध्य में रमणीक मुनि ने कहा कि आने वाले पर्युषण के 8 दिन हमारी तुम्हारी परीक्षा के दिन हैं। गत 42 दिनों में कितना सुना, इस काल में क्या अनुभव किया, आगमों का स्वाध्याय करते हुए कितना समझा, प्रतिदिन सामायिक का फल कितना मिला या नहीं यानी सांसों का हिसाब-किताब देने का वक्त आया है।
उन्होंने कहा कि पर्व त्योहार हर साल आकर चले जाते हैं, यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है संतों व स्वाध्याय के संदेशों को जीवन में उतारना है। यह बात जब अंदर तक चली जाए, दिल को छू जाए, सोच का हिस्सा बन जाए तब जिंदगी में चमत्कार निश्चित है। चारों तरफ प्रतिकूलता हो, वातावरण व्यक्ति के खिलाफ हो इसके बावजूद चेहरे पर मुस्कान रहे तो यह असली चमत्कार ही कहलाता है। यह चमत्कार ही धर्म है। चातुर्मास में यह धर्म परिपक्व होता है। धर्मात्मा होने का संकल्प भी इसी दौरान जागता है। भगवान तो एक है लेकिन उस तक पहुंचने के अनेक रास्ते हैं। धर्म ध्यान करने वाले लोग अपने स्वाभाविक नजरिए से सकारात्मक रहते हुए सभी को सहजता से देखते हैं। धर्म की अनुभूति बहुत मुश्किल है। नकारात्मक वाले को उसकी सोच में चांद में दाग नजर आएगा और सकारात्मक सोच होगी तो गंदगी में कमल नजर आएगा।
प्रारंभ में उपाध्याय रविंद्र मुनि ने मंगलाचरण किया। अर्हम मुनि ने गीतिका सुनाई। पारस मुनि ने मांगलिक प्रदान की। संचालन चिकपेट शाखा के महामंत्री गौतमचंद धारीवाल ने किया। सह मंत्री गोतमचंद मुणोत ने बताया कि चौमुखी जाप के लाभार्थी रविंद्रकुमार शांतिबाई गादिया का जैन दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया। सभा मे आनंद फुलफगर राजेन्द्र कोठारी,चेन्नई के राजेंद्र बोहरा व ज्ञानचंद बोहरा सहित दिल्ली, नासिक, घोडऩदी व चेन्नई सहित शहर के विभिन्न उपनगरीय संघों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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