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गुरु के ज्ञान रूपी प्रकाश से शिष्य का अज्ञान रूपी अंधकार मिटता है

locationबैंगलोरPublished: Sep 23, 2018 08:21:33 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में धर्मसभा

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गुरु के ज्ञान रूपी प्रकाश से शिष्य का अज्ञान रूपी अंधकार मिटता है

वीवीपुरम स्थित जय परिसर महावीर धर्मशाला में जयधुरन्धर मुनि के प्रवचन
बेंगलूरु. जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में वीवीपुरम स्थित जय परिसर महावीर धर्मशाला में जयधुरन्धर मुनि ने कहा कि गुरु के ज्ञान रूपी प्रकाश से शिष्य का अज्ञान रूपी अंधकार मिट जाता है। गुरु संस्कार दाता होते हैं और उनका परम उपकार होता है।
उन्होंने कहा कि गुरु आलम्बन, सहारा है, जीवन के निर्माता है। कहा जाता है कि जिसके जीवन में गुरु नहीं, उसका जीवन शुरू नहीं। आत्मा की खोज करने, मोह की फौज दूर करने, कर्मों का बोझ उतारने, ज्ञान की हौज में डूबने और मुक्ति की मौज को प्राप्त करने के लिए गुरु का सान्निध्य अनिवार्य है। त्रिदिवसीय कार्यक्रम में 100 से अधिक महिलाओं ने सामूहिक एकासना किया। शनिवार को प्रात: 6 बजे से सायं 7 बजे तक सामूहिक जय जाप होगा।
महज दान से बुराई नहीं छिपती
शांतिनगर जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ में आचार्य महेंद्र सागर सूरी ने कहा कि व्यक्ति धर्म के नाम दो पांच लाख करोड़ रुपए का दान देकर या चढ़ावा लेकर सोचता है कि धंधे में किए गए पाप ढक गए। लेकिन ऐसा नहीं होता है।
जब समाज में या धर्म में थोड़ा सा दान या बोली का कोई लाभ ले लेता है तो लोग उसे भाग्यशाली घोषित करते हैं।
माला पहनाते हैं, तिलक करते हैं, मगर यह तफ्तीश नहीं करते कि वह दान या चढ़ावा कितनी बेईमानी या कितनी ईमानदारी से आया है। ऐसे लोग जो केवल नाम के लिए या दिखावे के लिए दान करते हैं, उनका दान धर्म केवल केवल बातों तक अथवा वाहवाही तक होता है। दान दिखावे के लिए नहीं, वरन दासत्व के लिए करें। दान प्रचार के लिए नहीं अपितु पाप में पेसे न जाए उसके लिए करें। दान घोषणा से नहीं गुप्तता से होना चाहिए। दान स्वयं सुख से जीने की तथा औरों को सुख से जीने की कला है।

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