जानवरों के वीर कृत्यों, समर्पण और उत्कृष्ट योगदानों को किया याद
एएससी सेंटर में नव निर्मित पशु स्मारक का उद्घाटन

बेंगलूरु.
युद्ध के मैदान में जानवरों के वीर कृत्यों, कर्तव्य के प्रति समर्पण और सैनिकों के साथ सैन्य सेवा में उनके उत्कृष्ट योगदानों को याद करते हुए एएससी सेंटर एवं कॉलेज के अग्राम ग्राउंड्स पर स्थापित एशिया के पहले पशु स्मारक का नवीनीकरण किया गया है जिसका उद्घाटन शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल मिलिंद हमेंत ठाकुर (डीजी सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट कॉप्र्स) ने किया।
दरअसल, एएससी को भारतीय सेना की सबसे बड़ी एवं पुरानी प्रशासनिक सेवा के रूप में जाना जाता है। यह सशस्त्र बलों का लॉगिस्टिक मेरुदंड है जिसका मुख्य दायित्व देश में तैनात सैन्य फार्मेशनों के लिए राशन, पेट्रोलियम उत्पाद, मेकेनिकल ट्रांसपोर्ट, पशु परिवहन, गोला-बारूद आदि उपलब्ध कराना है। युद्ध अथवा शांतिकाल में सेना को पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़े और वे इत्मीनान से अपनी जिम्मेदारी निभा सकें इसके लिए एएससी उनकी हर जरूरतें लेकर उनके पीछे होता है। इसमें जानवर भी अहम भूमिका निभाते हैं क्योंकि दुर्गम पहाड़ी इलाकों में सैनिकों के गले लगकर जरूरी साजो-सामान अथवा सहायता जानवर ही पहुंचाते रहे हैं। कई बार अपनी ड्यूटी निभाते ये जानवर अपनी जान भी दे देते हैं। उनकी प्रतिबद्धता, निष्ठा और अथक सेवाओं की भारतीय सेना में गौरवपूर्ण स्थान है।
इस अवसर पर ले.ज.ठाकुर ने घोषणा की कि हर वर्ष 26 सितम्बर पशु परिवहन स्मारण दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। दरअसल, 26 सितम्बर 1914 को ही पहले विश्व युद्ध में मित्र देशों की सेना की मदद के लिए 9 वां म्युल कॉप्र्स फ्रांस के मासिर्ले पहुंचा था जहां उनका शानदार स्वागत किया गया। पहले विश्व युद्ध के दौरान ऐसे 145 पशु परिवहन यूनिट फ्रांस, बेल्जियम, मिस्र, फिलिस्तीन आदि देशों में शामिल हुए। इस अवसर पर ले.ज.एमकेएस यादव (कमांडेंट एएससी सेंटर एंड कॉलेज) और ब्रिगेडियर समीर लांबा (कमांडेंट एएससी सेंटर) उपस्थित थे।
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