इसकी भनक लगते ही पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कांग्रेस नेताओं को लामबंद किया है कि किसी भी हालत में रेवण्णा को यह पद नहीं मिलना चाहिए। वर्ष 2009 में केएमएफ के अध्यक्ष रहे रेवण्णा को भाजपा के प्रत्याशी सोमशेखर रेडडी ने हराया था। अब दस वर्ष के अंतराल के बाद रेवण्णा ने फिर यह पद हासिल करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
राज्य के विभिन्न जिलों के 14 दुग्ध उत्पादक संघों के निदेशक केएमएफ के अध्यक्ष का चयन करते हंै। इसलिए रेवण्णा अभी से अपने चहेतों को निदेशक बना रहे हैं। 18 लाख से अधिक दुग्ध उत्पादक सदस्यों के साथ वार्षिक 15 हजार 500 करोड़ का कारोबार करने वाले केएमएफ का अध्यक्ष पद राज्य की राजनीति में काफी मायने रखता है।
इस पद के माध्यम से ग्रामीण राजनीति को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए कांग्रेस तथा जनता दल में इस पद को लेकर शीतयुद्ध जारी है। हाल में सिद्धरामय्या ने बल्लारी जिला दुग्ध उत्पादक संघ के निदेशक पद के लिए विधायक भीमा नायक को नियुक्त कर केएमएफ अध्यक्ष पद पर कांग्रेस प्रत्याशी उतारने की कवायद की है।
वे भी इस पद के दावेदार हैं। हाल में जनता दल-एस से कांग्रेस में शामिल हुए मागड़ी क्षेत्र के पूर्व विधायक एचसी बालकृष्णा भी दावेदारों में शामिल हैं। जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार तथा ग्रामीण विकास तथा पंचायत राज मंत्री कृष्ण बैरेगौड़ा चुनाव को लेकर सक्रिय हैं। कोलार जिला दुग्ध उत्पादक संघ के निदेशक कांग्रेस नेता केवाई नंजेगौड़ा एक अन्य दावेदार हैं।
कांग्रेस व जद-एस की दावेदारी से यह चुनाव रोचक बनने की संभावना है। गठबंधन के साथियों के बीच इस पद को लेकर अभी तक सहमति नहीं बन सकी है।