scriptसाढ़े तीन घंटे अंधेरे में डूबी रही शहर की सड़कें | Roads of the city steeped in three and a half hours | Patrika News

साढ़े तीन घंटे अंधेरे में डूबी रही शहर की सड़कें

locationबैंगलोरPublished: Jun 21, 2018 06:15:52 pm

Submitted by:

Rajendra Vyas

बकाया राशि के भुगतान को लेकर बिजली ठेकेदारों की हड़ताल

strike

साढ़े तीन घंटे अंधेरे में डूबी रही शहर की सड़कें

बेंगलूरु. करीब 35 करोड़ रुपए की बकाया राशि के भुगतान को लेकर बिजली ठेकेदारों के हड़ताल पर चले जाने के कारण बुधवार को करीब साढ़े तीन घंटे तक शहर की सड़कें अंधेरे में डूबी रही। बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका और बीबीएमपी बिजली ठेकेदार संघ के बीच सहमति बनने के बाद ही शहर के सभी 198 वार्डों में स्ट्रीट लाइटें रात 9.30 बजे जलीं। आमतौर पर स्ट्रीट लाइटें शाम 6 बजे जल जाती हैं। इससे पहले दिन में ठेकेदारों ने दिन में पालिका मुख्यालय के सामने प्रदर्शन किया था। पालिका और संघ के अधिकारियों के बीच बातचीम के बाद ठेकेदारों ने इस शर्त पर हड़ताल समाप्त करने का निर्णय लिया कि वे बकाया का भुगतान होने तक स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत का कार्य नहीं करेंगे। संघ के महासचिव के एम राजू ने कहा कि पालिका के पास 100 ठेकेदारों का 35 करोड़ रुपए पहले से ही बकाया है जबकि ठेकेदारों ने करीब 10 करोड़ रुपए का विपत्र अभी पेश नहीं किया है। कुल मिलाकर पालिका के पास ठेकेदारों का 45 करोड़ रुपए से ज्यादा बकाया है।
प्रदेश में स्वाइन फ्लू के आधे मामले शहर से
इस वर्ष की पहली छमाही में सामने आए 17 मामले
8 मामले बीबीएमपी क्षेत्र के
बेंगलूरु. प्रदेश में इस साल जनवरी से लेकर सोमवार (18 जून) तक एच1एन1 यानी स्वाइन फ्लू के कुल 17 मामले सामने आए हैं। इनमें से आठ बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) क्षेत्र से हैं। चार मरीज दक्षिण कन्नड़ व शेष कोलार, बागलकोटे, यादगीर, हासन और मैसूरु से हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवा निदेशालय ने बुधवार को यह आंकड़ा जारी किया। जिसके अनुसार प्रदेश में अब तक स्वाइन फ्लू से कोई मौत नहीं हुई है। कुल 2529 संदिग्ध मरीजों की जांच हुई।
राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट डिसीज के पूर्व निदेशक डॉ. शशिधर बुग्गी के अनुसार आम तौर पर अप्रेल-मई में स्वाइन फ्लू का प्रसार ज्यादा होता है। जारी आंकड़ों से लगता है कि इस बार स्थिति नियंत्रण में है। गत वर्ष पहले तीन महीने में ही मरीजों की संख्या 300 के पार पहुंच गई थी। स्वाइन फ्लू शुरुआती कुछ वर्षों की तरह उतना खतरनाक नहीं रहा। फिर भी स्तर पर सावधानी बरतने की जरूरत है।
गौरतलब है कि गत वर्ष प्रदेश में सामने आए स्वाइन फ्लू के 3260 मरीजों में से 15 की मौत हुई थी, जबकि वर्ष 2015 में 3565 मरीजों में से 94 मरीजों को बचाया नहीं जा सका था।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो