'राष्ट्र विरोधी ताकतें नहीं निकलने दे रहीं किसान आंदोलन का समाधान'
RSS प्रतिनिधि सभा की बैठक में पेश वार्षिक रिपोर्ट में कृषि सुधारों का समर्थन, रिपोर्ट में कहा गया कि किसी आंदोलन का लंबे समय तक चलना किसी के हित में नहीं है। इससे दैनिक जीवन पर असर पड़ता है।

बेंगलूरु. नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन पर पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने नरेंद्र मोदी सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि राष्ट्र और समाज विरोधी शक्तियों ने राजनीतिक लाभ के लिए किसान आंदोलन पर कब्जा कर लिया।
शुक्रवार को यहां शुरू हुई संघ के सर्वोच्च निर्णायक निकाय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय बैठक के पहले दिन पेश वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी शक्तियां मामले के समाधान में अवरोध पैदा करने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन, आंदोलन के नेतृत्व को ऐसी स्थिति नहीं बनने देनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि किसी आंदोलन का लंबे समय तक चलना किसी के हित में नहीं है। इससे दैनिक जीवन पर असर पड़ता है।

संघ ने कहा कि ऐसा लगता है कि ऐसी ताकतें राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए देश में माहौल खराब करने के साथ ही अस्थिरता की स्थिति पैदा करना चाहती है। लोकतंत्र में सभी को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है। लेकिन, किसी को भी देश में अशंाति या अस्थिरता पैदा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। संघ ने कहा कि सरकार और आंदोलनकारी किसानों को एक बार फिर वार्ता की मेज पर आकर गतिरोध खत्म करने का प्रयास करना चाहिए।
संघ ने कहा कि बातचीत जरुरी है। लेकिन, यह सामाधान के तलाश के उद्देश्य से होनी चाहिए। यह संभव है कि सभी मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाए लेकिन कुछ मुद्दों पर सहमति बनाई जानी चाहिए। ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका हल नहीं हो सके। लेकिन, इसके लिए सार्थक पहल की जरुरत होती है। बैठक प्रारंभ होने से पहले संघ के सह सरकार्यवाह (संयुक्त सचिव) मनमोहन वैद्य ने कहा कि बैठक में कोई राजनीतिक प्रस्ताव पारित नहीं किया और ना ही कृषि सुधार कानूनों के राजनीतिक प्रभाव पर चर्चा होगी। संघ प्रमुख मोहन भागवत और सह कार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने बैठक का शुभारंभ किया। बैठक में करीब ४५० प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। बैठक के दूसरे दिन शनिवार को नए सरकार्यवाह का चुनाव होगा।

संघ के प्रति लोगों में उत्सुकता बढ़ी
वैद्य ने कहा कि संघ के प्रति समाज में उत्सुकता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि लोग संघ के बारे में जानना चाहते हैं और जुडऩा भी चाहते हैं। हो सकता है, सभी लोग संघ में शामिल नहीं हों लेकिन वे संघ के साथ काम करना चाहते हैं। बैठक के दौरान शाखाओं की संख्या और भूमिका बढ़ाने पर विचार विमर्श होगा। वैद्य ने कहा कि कोरोना महामारी और राम मंदिर अभियान के दौरान देश की सद्भावना व सांस्कृतिक एकता का अनूठा उदाहरण देखने को मिला। कोरोना के दौरान समाज की सहभागिता और राम मंदिर निधि समर्पण अभियान के समय जो एकजुटता दिखाई गई, वह बेमिसाल है।
राम मंदिर सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक
उन्होंने कहा कि अयोध्या में बन रहा राम मंदिर केवल एक और मंदिर नहीं है। यह मंदिर देश का स्वाभिमान तथा देश की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। इस मंदिर के निधि समर्पण अभियान में 20 लाख कार्यकर्ताओं ने देश के 5 लाख 45 हजार से अधिक गांवों में संपर्क कर लोगों से निधि संग्रहित की है।
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