आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के अभिभाषण से पहले अपने संबोधन में उन्होंने जोर देकर कहा कि सत्ता पक्ष को केवल नागरिकों के हितों के प्रति समर्पित रहना चाहिए। यह एक भ्रम है कि सदन के सदस्यों के पास सरकार की कमियों से संबंधित मुद्दों को उठाने के लिए पर्याप्त समय नहीं है। सदन की प्रक्रिया और नियमों का पालन करके इस जिम्मेदारी को भली-भांति पूरा किया जा सकता है। विधायकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे सरकार से प्रभावी सवाल करें और उचित उत्तर प्राप्त करें। उन्होंने विशेष रूप से कार्यपालिका की वित्तीय जिम्मेदारी सुनिश्चित करने, सदन के समय के सदुपयोग, मीडिया द्वारा रचनात्मक सहयोग पर बल दिया।
विधेयक पारित करते समय लोगों की भावनाओं का सम्मान करें: होरट्टी
अपने अभिभाषण में विधान परिषद के सभापति बसवराज होरट्टी ने कहा कि लोकतंत्र का मूल उद्देश्य यह है कि सभी को समानता का अधिकार मिले और सभी के हित के लिए काम किया जाए। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विधान मंडलों में लोकतांत्रिक माध्यम से कार्य हो और ऐसे कानून बनाए जाएं जिनसे लोगों की मदद की जा सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि विधेयकों को पारित करते समय यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि जनप्रतिनिधि लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं का सम्मान करें। विधानमंडल धर्म, रंग, जाति जैसे भेद के बिना सब को बोलने का अधिकार देते हैं। जनप्रतिनिधियों का कर्तव्य है कि वह सदन के कार्यक्रम के दौरान अपने व्यवहार में उदारता का भाव दिखाएं।