उन्होंने यहां भाजपा सरकार के ‘पांच काले कानूनÓ नामक पुस्तिका का विमोचन करते हुए कहा कि भाजपा इस बात को लेकर लोगों को गुमराह कर रही है कि राज्य के कुछ कांग्रेस के नेताओं ने ही कर्नाटक भूमि सुधार कानून की धारा 79 ए तथा 79 बी हटाने की मांग की थी। इस पुस्तिका के माध्यम से कांग्रेस ने कृषि सुधार कानून को लेकर अपना रवैया स्पष्ट किया है।
अब सरकार ने इन धाराओं को निरस्त कर दिया है। परिणाम स्वरूप अब कोई भी राज्य में आकर जितनी चाहे कृषि भूमि खरीद सकता है। इस कानून के बनने से रीयल एस्टेट कारबारियों का रास्ता साफ हो गया है।उन्होंने कहा कि भाजपा नेता कृषि सुधार कानून से किसानों का भला होने का झूठा दावा कर रह हैं। विधानमंडल में भी सरकार ने इन विधेयकों पर बहस के लिए पर्याप्त समय तक नहीं देकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है।
उन्होंने कहा कि यह बात किसी से छिपी नहीं है कि केंद्र सरकार के दबाव के कारण ही राज्य सरकार ने आनन-फानन यह विधेयक ध्वनिमत से पारित किए हैं। कुछ विधेयकों को अभी विधान परिषद में मंजूरी नहीं मिली है। ऐसे विधेयकों को अब अध्यादेश लाकर लोगों पर थोपा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक पशुवध प्रतिबंध तथा संरक्षण विधेयक 2020 के संभावित परिणामों की इस सरकार को कोई जानकारी नहीं है। केवल संघ परिवार को खुश करने के लिए यह अध्यादेश जारी किया गया है। राज्य सरकार के पास विपक्ष की आपत्तियों का कोई जवाब नहीं है। इसीलिए सरकार सदन में बहस टालने का प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि केंद्र तथा राज्य सरकार ने कृषि उपज बाजार समितियां (एपीएमसी) का अस्तित्व मिटाकर पूंजीपतियों का भला करने का मन बना लिया है। कथित कृषि सुधार कानूनों का विरोध करने वालों को देशद्रोही, पाकिस्तान समर्थक, शहरी नक्सल तथा आतंकवादी करार दिया जा रहा है। इससे स्पष्ट है कि भाजपा सरकार पूंजीपतियों के हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।