scriptएस-जीन पीसीआर टेस्टिंग से जल्दी पकड़ में आएगा ओमिक्रॉन वैरिएंट | S-gene PCR testing will quickly catch Omicron variants | Patrika News
बैंगलोर

एस-जीन पीसीआर टेस्टिंग से जल्दी पकड़ में आएगा ओमिक्रॉन वैरिएंट

– विशेषज्ञों की राय : आरटी-पीसीआर किट को अपडेट करने की जरूरत

बैंगलोरDec 01, 2021 / 07:15 pm

Nikhil Kumar

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बेंगलूरु. कोरोना की तीसरी लहर की संभावना है। ओमिक्रॉन वैरिएंट ने चिंता और बढ़ा दी है। करीब 12 देशों में दस्तक दे चुके ओमिक्रॉन वैरिएंट के भारत में भी होने का अंदेशा है। विशेषज्ञों ने सरकार को चेताया है और जीनोम सीक्वेंसिंग तेज करने की अपील की है। एस-जीन पीसीआर टेस्टिंग पर निर्भरता बढ़ाने का सुझाव दिया है। वायरस के प्रसार को रोकने व स्थिति के आकलन के लिए यह बेहद जरूरी है। पहले के आरटी-पीसीआर किट का डिजाइन 2020 के वायरस के स्वरूप के हिसाब से था। अब संक्रमण की जेनिटेक संरचना बदल चुकी है। इस कारण काफी केस पकड़ में नहीं आएंगे। शायद हो भी ऐसा ही रहा है। इसलिए आरटी-पीसीआर को अपडेट करने की जरूरत है। इसके लिए ऑल जीन आरटी-पीसीआर करना पड़ेगा। नए स्वरूप के बारे में काफी अनिश्चितता बनी हुई है।

ओमिक्रॉन वैरिएंट का तुरंत पता लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सुझाव के तहत एस-जीन संबंधी जांच की जानी चाहिए। एस-जीन यदि किसी नमूनें मे नहीं पाया गया तो ऐसा माना जा सकता है कि संबंधित व्यक्ति ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमित है। हालांकि, इसकी पुष्टि जीनोम सीक्वेंसिंग से ही की जाएगी।
जीनोम सीक्वेंसिंग धीमा

माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट डॉ. गगनदीप कांग के अनुसार भारत में ओमिक्रॉन वैरिएंट के मौजूद होने की आशंका है। देश में जीनोम सीक्वेंसिंग धीमा है। नतीजा आने में एक माह से भी ज्यादा समय लगेगा तो इसका कोई मतलब नहीं है। ऐसे में नए वेरिएंट के प्रसार को रोकने में मदद नहीं मिलेगी।

चंद घंटों में नतीजे
उन्होंने बताया कि नए वेरिएंट में कुछ ऐसा है जिले एस-जीन ड्रॉपआउट कहते हैं। इसका मतलब यह है कि एस-जीन पीसीआर की रिपोर्ट निगेटिव हो तो नमूने की जीनोम सीक्वेंसिंग की भी जरूरत नहीं है। इसके नतीजे चंद घंटों में आते हैं।
उन्होंने बताया कि वायरस के उत्परिवर्तन की उम्मीद की जा रही थी। आश्चर्य की बात यह है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट में पहले देखे गए किसी भी अन्य प्रकार की तुलना में अधिक उत्परिवर्तन (स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक) हैं।

वायरस सुरक्षा चक्र को भेदने में कामयाब
टीकाकरण के बाद भी लोग अगर संक्रमित हो रहे हैं, तो साफ है कि वायरस सुरक्षा चक्र को भेदने में कामयाब है। दक्षिण अफ्रीका में, लगभग एक चौथाई आबादी का टीकाकरण हुआ है। लेकिन इजराइल की रिपोर्ट में कहा गया है कि इसने उन लोगों को भी संक्रमित कर दिया है जिन्हें एमआरएनए वैक्सीन की तीन खुराक लग चुकी है।

संक्रमण चिंता का विषय नहीं है। वायरस किस तरह की नैदानिक विशेषताएं पेश कर रहा है और क्या दक्षिण अफ्रीका की तरह संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है, इस पर गौर करने और एहतियाती कदम उठाने का समय है। यात्रा पर प्रतिबंध वायरस के प्रसार को धीमा जरूर कर सकता है।

बढ़ानी होगी टेस्टिंग, जीनोम सीक्वेंसिंग
डॉ. कांग ने कहा कि कर्नाटक सरकार को चाहिए कि संक्रमितों व संपर्कों की पहचान प्रक्रिया में तेजी लाए। प्रसार को रोकने के लिए समय पर उचित कार्रवाई और सटीक रणनीति बेहद जरूरी है। टेस्टिंग व जीनोम सीक्वेंसिंग बढ़ानी होगी।

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