मुनि ने प्रवचन में कहा कि जब घर में सभी समान रूप से अपने- अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हैं तब घर स्वर्ग समान बनता है। उसमें मुख्य भूमिका होती है सास व बहू की। यदि सास व बहू में सामंजस्य की अखंड लौ प्रज्वलित है तो दुनिया की कोई भी शक्ति घर को नहीं तोड़ सकती।
बाप-बेटे अलग नहीं होते। बल्कि सास-बहू मे वैचारिक संतुलन की कमी के कारण परिवार बिखरते हैं। सास-बहू के संबंधों में ही घर को स्वर्ग बनाने की बुनियाद स्थित है। सास अपनी बहू को इतना वात्सल्य दे की बहू अपना पीहर भूल जाए और बहू सास का इतना विनय व सेवा करे कि वह अपनी बेटी का का फोन नंबर भूल जाए।
मुनि ने कहा कि आपसी विश्वास बढ़ाने के लिए पांच घटक तत्व है प्रेम, प्रेरणा,प्रशंसा, प्रोत्साहन, पुरष्कार। तकरार के भी पांच कारण हैं ,असंयम, अविवेक आवेश,असंतुलन,अभिमान। हमें पांचों का बहिष्कार व पांच को स्वीकार करना चाहिए। सहयोगी मुनि भरतकुमार ने विचार व्यक्त किए। बाल संत मुनि जयदीप कुमार ने गीतिका प्रस्तुत की। प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसका संचालन विकास नवलखा, विकास गुगलिया ने किया।