मुनि राजपद्मसागर ने उपस्थित महानुभावों से साधु जीवन में निष्ठापूर्वक रहने और चारित्र का श्रेष्ठ पालन करने की शुभकामनाएं मांगी। मेरुपद्मसागर ने साधु का बहुमान व आदर त्याग से करने की बात कही। इस अवसर पर बेंगलूरु, टिपटूर, अरसीकेरे, चिकमंगलूर, चंद्रायपटनम ओर बिरूर से भक्तों का आगमन हुआ। स्थानीय बालिका मण्डल, महिला मण्डल ने संयम अनुमोदना गीतिका प्रस्तुत की। पाठशाला के बालकों ने नाटिका एवं नृत्य प्रस्तुत किया। नरेंद्र धोका, जयन्तीलाल कोठारी एवं वसन्त बोहरा ने वक्तव्य दिए। संघ भक्ति का लाभ चम्पालाल, विशाल कुमार ने लिया।