महापुरुषों के उपकार हमेशा जीवंत रहते हैं-साध्वी अक्षय ज्योति
धर्मसभा का आयोजन
बेंगलूरु. श्वेेतांबर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ अलसूर के तत्वावधान में महावीर भवन अलसूर में आयोजित धर्मसभा में साध्वी डॉ.अक्षय ज्योति ने कहा कि महापुरुषों के उपकार हमेशा जीवंत रहते हैं। महापुरुष स्वयं बलिदान हो जाते हैं लेकिन भविष्य के लिए मशाल का काम करते हैं। क्रांति सहज नही होती है। अपमान और सम्मान सहन करना पड़ता है। पैसठिया यंत्र के रचयिता धर्मसिंह मुनि का स्मरण करते हुए साध्वी ने कहा कि कुछ रचनाएं कालजयी होती हैं और संकट के भंवर मे फंसे साधक को तारने मे सक्षम होती हैं। मंत्रों मे अपूर्व ताकत होती है। हम इन्हें औपचारिकता के लिए नहीं उपयोग करें। श्रद्धा सहित हम साधना करें तो असंभव कुछ भी नहीं है। साध्वी ने उपाध्याय केवलमुनि का स्मरण करते हुए कहा कि अलसूर में उनका अंतिम चातुर्मास हुआ था। इसलिए यह धरा पुण्य समृद्ध धरा है। अलसुर संघ के मंत्री अभयकुमार बांठिया ने सभा का संचालन करते हुए साध्वीवृंद के आगामी चातुर्मास के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त की। इससे पूर्व प्रवर्तिनी चंदना के अलसूर पधारने पर अलसूर संघ के श्रावक-श्राविका वर्ग ने उनकी अगवानी की।
धर्मसभा का आयोजन
बेंगलूरु. श्वेेतांबर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ अलसूर के तत्वावधान में महावीर भवन अलसूर में आयोजित धर्मसभा में साध्वी डॉ.अक्षय ज्योति ने कहा कि महापुरुषों के उपकार हमेशा जीवंत रहते हैं। महापुरुष स्वयं बलिदान हो जाते हैं लेकिन भविष्य के लिए मशाल का काम करते हैं। क्रांति सहज नही होती है। अपमान और सम्मान सहन करना पड़ता है। पैसठिया यंत्र के रचयिता धर्मसिंह मुनि का स्मरण करते हुए साध्वी ने कहा कि कुछ रचनाएं कालजयी होती हैं और संकट के भंवर मे फंसे साधक को तारने मे सक्षम होती हैं। मंत्रों मे अपूर्व ताकत होती है। हम इन्हें औपचारिकता के लिए नहीं उपयोग करें। श्रद्धा सहित हम साधना करें तो असंभव कुछ भी नहीं है। साध्वी ने उपाध्याय केवलमुनि का स्मरण करते हुए कहा कि अलसूर में उनका अंतिम चातुर्मास हुआ था। इसलिए यह धरा पुण्य समृद्ध धरा है। अलसुर संघ के मंत्री अभयकुमार बांठिया ने सभा का संचालन करते हुए साध्वीवृंद के आगामी चातुर्मास के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त की। इससे पूर्व प्रवर्तिनी चंदना के अलसूर पधारने पर अलसूर संघ के श्रावक-श्राविका वर्ग ने उनकी अगवानी की।
