सकारात्मक एवं नकारात्मक रूपी दोनों चैनल हमारे मस्तिष्क में हैं। दोनों में एक समान ताकत है और दोनों का नियंत्रण हमारे पास है। हमें कौन सा चैनल शुरू करना है। यह हम पर निर्भर है। रिश्तों को मधुर एवं बेकार बनाना हमारे चैनल पर आधारित है। नेगेटिव चैनल ऑन रहेगा तो संबंध खराब होंगे समकित यात्री किसी व्यक्ति को लेकर अपना नकारात्मक चैनल ऑन नहीं करता बल्कि सात्विक सोच लेकर आगे बढ़ता है।
डॉ. समकित मुनि ने कहा कि किसी की बुराई करने से हम अच्छे नहीं बन सकते। स्वयं को अच्छा बनाने पर ही हम अच्छा बन सकते हैं। अपने जीवन को अच्छा बनाना है तो बुराई त्यागो, स्वयं को अच्छा बनाओ।
डॉ. समकित मुनि ने कहा कि किसी की बुराई करने से हम अच्छे नहीं बन सकते। स्वयं को अच्छा बनाने पर ही हम अच्छा बन सकते हैं। अपने जीवन को अच्छा बनाना है तो बुराई त्यागो, स्वयं को अच्छा बनाओ।
सकारात्मक सोच से ही मन मस्त बनेगा। हमें परिस्थितियां परेशान नहीं कर सकतीं, हमें हमारी सोच और नज़रिया परेशान करता है। निराशा से आशा की ओर बढ़ाती है समकित यात्रा। मुनि ने कहा कि बाहर की धन- दौलत खत्म होने से कोई कंगाल नहीं होता, कंगाली तब आती है जब हम भीतर से खाली हो जाते हैं।
कभी भी अपने मन को खाली मत करो, जीवन में उतार चढ़ाव की स्थितियां बनती रहती हैं। ऐसे समय में मन को दीन मत बनाओ। माहौल नाराजगी का हो परंतु सोच हमेशा सात्विक रखो।
संचालन संघ के मंत्री मनोहरलाल बम्ब ने किया। प्रचार प्रसार समिति के चेयरमैन प्रेमचन्द कोठारी ने कहा कि धर्मसभा में प्रवचन व्यवस्था समिति के अध्यक्ष महावीर चोपड़ा, महेन्द्र मेहता, इन्द्रचंद भंसाली आदि उपस्थित थे।