केंद्र को मध्यस्थता करने का निर्देश
बैंगलोरPublished: Apr 03, 2020 05:58:42 pm
राज्य की सीमाओं से नाकाबंदी हटाने का मामलाकेरल हाइकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
बेंगलूरु.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को केरल और कर्नाटक के मुख्य सचिवों के बीच एक बैठक आयोजित करने को कहा है ताकि मेंगलूरु से सटे कासरगोड जिले के मरीजों को आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं के लिए नाकाबंदी हटाने के मुद्दे को दोनों राज्य आपसी सहमति से निपटा सकें।
शीर्ष अदालत की जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई की। इस संदर्भ में पीठ ने केंद्र सरकार, केरल, कर्नाटक तथा अन्य को नोटिस जारी किया। राज्य सरकार ने अपनी याचिका में केरल हाइकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिमसें उसने केरल के मरीजों की आपातकालीन चिकित्सा सुविधा के लिए केंद्र सरकार को कर्नाटक सीमा पर लगाई गई नाकाबंदी हटाने का निर्देश दिया था। पीठ ने कासरगोड के सांसद राजमोहन उन्नीथन द्वारा दायर याचिका पर भी नोटिस जारी किया। इस मामले में पीठ ने अगली सुनवाई 7 अप्रैल को तय की है और राज्यों से इस मामले को नहीं टालने का आग्रह किया।
केरल हाइकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने कहा कि इस आदेश के लागू होने से कानून-व्यवस्था की स्थिति पर असर पड़ेगा क्योंकि, स्थानीय आबादी कासरगोड जिले से लोगों के प्रवेश का विरोध कर रही है, जिसमें कोविड-19 मामलों की संख्या अधिक है। कासरगोड जिले में कोविड-19 मामलों के प्रकोप के मद्देनजर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के हित में सड़क सीमाओं को सील किया गया है। याचिका में कहा गया है कि केरल हाइ कोर्ट ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 (2) के तहत अपने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र को एक ऐसे मामले में दिशा-निर्देश पारित करके पलट दिया जिसमें कार्रवाई का कारण पूरी तरह से कर्नाटक राज्य के भीतर उत्पन्न हुआ।
याचिका में कहा गया है, हाइकोर्ट यह विचार करने में विफल रहा कि मेंगलूरु और दक्षिण कन्नड़ जिले के अस्पताल पहले से ही भरे हैं। केरल के जिलों में, विशेषकर कासरगोड में मामलों की बढ़ती संख्या के कारण मेंगलूरु में रहने वाले लोग दहशत में हैं। राज्य अपने संसाधनों से यहां की जरूरतें बमुश्किल पूरा कर रहा है और केरल राज्य से नए रोगियों की जरूरतों को पूरा करना बहुत मुश्किल है। जमीनी स्तर पर कोविड-19 रोगी और अन्य में अंतर करना बहुत मुश्किल है। याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में एक समान रिट याचिका दायर की गई है इसलिए हाइकोर्ट को याचिका पर सुनवाई करने से बचना चाहिए। मामला अनिवार्य रूप से दो राज्य सरकारों के बीच का विवाद है और यह अनुच्छेद 131 के तहत सुप्रीम कोर्ट के विशेष अधिकार क्षेत्र में है। इसलिए हाइ कोर्ट को एक जनहित याचिका में आदेश पारित नहीं करना चाहिए।