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कर्नाटक में भाजपा को मिलेगी राहत या बढ़ेगी मुश्किल, फैसला आज

locationबैंगलोरPublished: Nov 13, 2019 12:03:22 am

Submitted by:

Jeevendra Jha

अदालत पर टिकी सबकी निगाहें : 17 विधायकों को अयोग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला

Supreme Court

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बेंगलूरु. राज्य के 17 विधायकों को अयोग्य ठहराने के मामले में उच्चतम न्यायालय बुधवार को फैसला सुनाएगा। अयोग्य घोषित विधायकों के साथ ही सभी दलों की निगाहें भी फैसले पर टिकी हैं। इस फैसले से ही कांग्रेस और जद-एस के बागी विधायकों का राजनीतिक भविष्य तय होगा। शीर्ष अदालत ने पिछले महीने सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत के फैसले के प्रतीक्षा के बीच इनमें से 15 सीटों पर उपचुनाव की प्रक्रिया भी चल रही है।
न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ सुबह 10.30 बजे हॉल नंबर तीन में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी। अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देने वाले अयोग्य घोषित विधायकों का कहना था कि उन्होंने सदन की सदस्यता से इस्तीफा दिया है जबकि कांग्रेस और जद-एस का कहना था कि उन्होंने प्रलोभन में आकर पाला बदला, जिस कारण गठबंधन सरकार का पतन हुआ।
गौरतलब है कि जुलाई में एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस और जद-एस सरकार से नाराज 17 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इनमें १३ कांग्रेस, ३ जद-एस और एक केपीजेपी के चुनाव चिह्न पर 2018 के विधानसभा चुनाव में जीते थे। कांग्रेस और जद-एस की याचिका पर कुमारस्वामी सरकार के विश्वास मत प्रस्ताव पर मतदान से पहले अध्यक्ष ने इन विधायकों को अयोग्य को दल-बदल विरोधी कानून के तहत मौजूदा विधानसभा के पूरे कार्यकाल के लिए अयोग्य ठहरा दिया था। बाद में सदन के सदस्यों की संख्या घट जाने पर बी एस येडियूरप्पा के नेतृत्व में भाजपा सरकार सत्ता में आई।

अयोग्य ठहराए गए विधायकों ने अध्यक्ष के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। मामले की सुनवाई के दौरान ही चुनाव आयोग ने विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के कारण रिक्त हुई 17 में से 15 सीटों पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव कराने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद अयोग्य ठहराए गए विधायकों ने उपचुनाव स्थगित करने या उन्हें भी चुनाव लडऩे की अनुमति देने की मांग को लेकर अदालत में याचिका दायर की। इसके बाद आयोग ने उपचुनाव ५ दिसम्बर को कराने की घोषणा की थी। इस बीच, विधायकों के पाला बदल को लेकर येडियूरप्पा का एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कांग्रेस ने शीर्ष अदालत से उसे सबूत के तौर पर रिकॉर्ड में लेने की अपील की थी लेकिन अदालत ने उसे खारिज कर दिया था।

उपचुनाव की प्रक्रिया जारी, फैसले का इंतजार
सोमवार को उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया दुबारा शुरू हो गई। हालांकि, कांग्रेस को छोड़कर किसी भी दल ने अभी उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। सभी दलों को अदालत के फैसले का इंतजार है। कांग्रेस और भाजपा में एक-दूसरे के बागी नेताओं को टिकट देने को लेकर घमासान की स्थिति बनी हुई है। जद-एस भी उम्मीदवारों के चयन के लिए अदालत के फैसले का इंतजार कर रहा है। कांग्रेस ने पहली सूची में आठ उम्मीदवार घोषित किए थे लेकिन बाकी उम्मीदवारों की घोषणा के लिए कांग्रेस भी फैसले का इंतजार कर रही है।
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