डीपीआइ के आयुक्त के. जी. जगदीश ने बताया कि स्कूल प्रबंधनों के केवल पहले टर्म की फीस लेने की इजाजत दी गई है। हालांकि डीपीआइ ने किश्तों की संख्या तय नहीं की है। स्कूलों के लिए शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान अनिवार्य है और इस संबंध ने डीपीआइ को कोई शिकायत नहीं मिलनी चाहिए।
राहत पैकेज की मांग
एसोसिएटेड मैनेजमेंट ऑफ इंग्लिश मीडियम स्कूल्स इन कर्नाटक (केएएमएस) ने स्पष्ट किया है कि उनके लिए फिलहाल वेतन देना संभव नहीं है। केएएमएस के महासचिव डी. शशिकुमार अभिभावक फीस नहीं भर रहे हैं। ऊपर से नए दाखिले भी नहीं हो रहे हैं। सरकार ने फीस तक बढ़ाने की इजाजत नहीं दी है। 25 फीसदी से ज्यादा अभिभावकों ने गत वर्ष के फीस का भुगतान नहीं किया है। ऐसे में सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन संभव नहीं है। केएएमएस व शिक्षक लंबे समय से सरकार से राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं।
पांच माह से आधे वेतन का सहारा
शिक्षकों के अनुसार तकरीबन सभी को अप्रेल से वेतन का भुगतान नहीं हुआ है। 50 फीसदी शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया है। शिक्षकों की संख्या घटने से ऑनलाइन पढ़ा रहे शिक्षकों पर काम को बोझ बढ़ा है। ऊपर से इन शिक्षकों को आधे वेतन से गुजारा करना पड़ा रहा है।