सीट 1- दावेदार 16
बैंगलोरPublished: Apr 26, 2019 08:02:05 pm
चिंचोली विधानसभा उप चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रत्याशी चयन टेढ़ी खीर
बेंगलूरु. धारवाड़ जिले के कुंदगोल तथा कलुबर्गी जिले के चिंचोली विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होने जा रहा है। कांग्रेस पार्टी ने कुंदगोल में यहां से विधायक रहे सीएस शिवल्ली की पत्नी कुसुमा शिवल्ली को प्रत्याशी बनाने की तैयारी की है। वहीं, चिंचोली क्षेत्र में टिकट के लिए 16 से अधिक दावेदार होने के कारण यहां प्रत्याशी का चयन कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है। इसी कारण कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व ने गुरुवार को इस विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव को लेकर मंत्रणा की।
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए राज्यसभा के पूर्व सदस्य केबी शाणप्पा को प्रत्याशी बनाने की चर्चाएं चल रही थीं। मगर क्षेत्र में विभिन्न समुदायों के कांग्रेस नेताओं ने भी दावेदारी पेश कर दी है। इस विधानसभा क्षेत्र में बंजारा समुदाय के मतदाताओं की संख्या निर्णायक है। लिहाजा समुदाय के कांग्रेस नेता बाबूराव चव्हाण, जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष सुभाष राठोड़, हाल में भाजपा छोड़ कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खरगे के लिए प्रचार करने वाले रेवू नायक बेलमगी ने भी इस क्षेत्र के लिए दावेदारी पेश की है। इसके अलावा भाजपा का टिकट नहीं मिलने से नाराज सुनील मल्कापुरे ने कांग्रेस में शामिल होकर टिकट पर दावेदारी पेश कर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। साथ में कलबुर्गी जिले के अजा-जजा वर्ग के नेता भी टिकट मांग रहे हैं।
कलबुर्गी जिले के नेताओं के साथ मंत्रणा
कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व ने गुरुवार को चिंचोली विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के संदर्भ में कलबुर्गी जिले के नेताओं के साथ मंत्रणा की। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडूराव के साथ मंत्री प्रियांक खरगे ने प्रत्याशी का नाम तय करने पर विमर्श किया। बैठक के बाद प्रियांक खरगे ने दावा किया कि दोनों विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव में भी कांग्रेस सफलता हासिल करेगी।। 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां के मतदाताओं ने कांग्रेस प्रत्याशियों को भारी मतों के अंतर से जीत दिलाई थी। चिंचोली विधानसभा क्षेत्र के मतदाता इस बात को भली भांति जानते हैं कि इस क्षेत्र में उपचुनाव क्यों हो रहा है। पूर्व विधायक डॉ. उमेश जाधव ने क्षेत्र की जनता के साथ विश्वासघात किया है। खरगे ने कहा कि प्रदेश के भाजपा नेता फिर एक बार राज्य की गठबंधन सरकार के गिरने की बातें करने लगे हैं।मगर ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है। इन नेताओं को सत्ता वापसी के सपने देखना छोड़ देना चाहिए। भाजपा के पास अगले विधानसभा चुनाव का इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।