बता दें कि यह मामला बेंगलूरु पुलिस आयुक्त द्वारा 18 दिसंबर को सार्वजनिक रैलियों पर प्रतिबंध लगाने के दिए आदेश की वैधता से संबंधित था। रैलियों का आयोजन 19 दिसंबर को किया जाना था।
आदेश की चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अभय ओका और जस्टिस प्रदीप सिंह येरुर की बेंच ने कहा कि यह वास्तव में एक निरोधक उपाय है। निरोधक उपाय से नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए इन याचिकाओं को प्रारंभिक चरण में सुनवाई के लिए स्वीकार किया जाना चाहिए।