आत्म-शोधन के बिना आत्म-नियंत्रण संभव नहीं- देवेंद्रसागर
बैंगलोरPublished: Sep 16, 2020 11:33:48 am
धर्मसभा का आयोजन
आत्म-शोधन के बिना आत्म-नियंत्रण संभव नहीं- देवेंद्रसागर
बेंगलूरु. राजाजीनगर के सलोत जैन आराधना भवन में आचार्य देवेंद्रसागर सूरी ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आत्म-शोधन के बिना आत्म-नियंत्रण संभव नहीं हो सकता है। आदत को बदलने के लिए, स्वभाव को बदलने के लिए, कर्तव्य के पूरे रूप को बदलने के लिए, आत्म-शोधन आवश्यक है। यह कोरा दिशान्तरण नहीं है। मार्गान्तरीकरण नहीं है, वरन समस्त रूपान्तरीकरण है। मनोविज्ञान का मार्गान्तरीकरण एक मौलिक वृत्ति के मार्ग को बदलने की प्रक्रिया है, उसको दूसरी दिशा में ले जाने की पद्धति है। शाकाहार को अपनाने वाले एवं सात्विक जीवनशैली जीने वालों के लिए भी संकट से बाहर आना अन्यों की तुलना में ज्यादा आसान है। इस तरह की जीवनशैली मानवता में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करती। जो चाहे इसकी अनूठी शक्ति आजमा सकते हैं। छूत के रोग रोकने के लिए वैक्सीन जरूरी है, किंतु संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए संतुलित जीवन, संतुलित आहार-व्यवहार, अच्छी आदतें, सकारात्मक सोच व प्रकृति में स्थित मूल प्राण से स्वयं को जोडऩा आवश्यक है। आचार्य ने कहा कि लोगों का जीवन स्वस्थ हो, इसके लिए भारतीय जीवनशैली कोरोना बाद के युग में एक मूल्यवान सबक हो सकता है, निरामय जीवनशैली का आधार हो सकता है। हमें अपने आंतरिक और बाह्य पर्यावरण के बीच संतुलन पुन: बनाना होगा, जो सदियों से बहुत से समाजों में टूटा हुआ सा रहा है। वर्तमान समय में इस समूची दुनिया को, हमारी मानवता को एक नई जीवनशैली, भारतीय मूल्यों वाली सभ्यता-संस्कृति की आवश्यकता है। योग, आयुर्वेद एवं भारतीय जीवनमूल्यों को निजता से सार्वभौमिकता, सार्वदेशिकता या समग्रता की ओर ले चलना होगा। कोरोना रूपी मृत्यु या संकट से अधिकांश व्यक्ति अत्यंत भयभीत हैं। वे भूले हुए हैं कि मृत्यु शत्रु नहीं, परम मित्र है। वह हमारे सिर पर बंधी एक घंटी है, जो हर घड़ी चेतावनी दे रही है-सावधान रहो। एक-एक क्षण का उपयोग उस साधना में करो, जो मानव-जीवन को कृतार्थ करें, कोरोना मुक्ति की दिशा में अग्रसर करे। वह यह भी कहती है कि इस धरा पर मनुष्य सर्वश्रेष्ठ प्राणी है और उसे जो जीवन मिला है, वह दुर्लभ है और वह कोरोना जैसे अनेक संकटों से पार पाने में सक्षम है।