scriptआत्मचिंतन बुरी आदतों को दूर करने में मदद करता है-देवेंद्रसागर | Self-reflection helps to remove bad habits - Devendrasagar | Patrika News

आत्मचिंतन बुरी आदतों को दूर करने में मदद करता है-देवेंद्रसागर

locationबैंगलोरPublished: Nov 24, 2021 09:01:20 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

धर्मसभा का आयोजन

आत्मचिंतन बुरी आदतों को दूर करने में मदद करता है-देवेंद्रसागर

आत्मचिंतन बुरी आदतों को दूर करने में मदद करता है-देवेंद्रसागर

बेंगलूरु. राजस्थान जैन मूर्तिपूजक संघ जयनगर में आचार्य देवेंद्रसागर सूरी ने कहा कि दूसरों के दुर्गुणों और दूसरों की बुराइयों के बारे में ही हर समय सोच-विचार करते रहना यह स्वयं के लिए हानिकारक है, क्योंकि इस तरह के विचार व्यक्ति को नकारात्मक भावना से भर देते हैं। ऐसा व्यक्ति खुद-ब-खुद गलत रास्ते पर चल देता है। जरूरत है आत्मविश्लेषण की, क्योंकि इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी बुराइयों और नकारात्मकता को पहचान लेता है और उन्हें दूर करने की कोशिश करता है। यहीं से व्यक्ति के कल्याण का मार्ग शुरू होता है।
आत्ममंथन हमेशा अपने लिए हितकर होता है। आत्ममंथन करने वाला व्यक्ति समय और समाज के भले के लिए कार्य करता है। ऐसा व्यक्ति इमानदार, सच्चा, न्यायप्रिय और सरल होता है। आत्ममंथन का तात्पर्य अपने अंदर देखने से है। इसे आत्म निरीक्षण या आत्मचेतना भी कहा जाता है। मनोविज्ञान की यह एक पद्धति है। इसका उद्देश्य मानसिक प्रक्रियाओं का स्वयं अध्ययन कर उनकी व्याख्या करना है। इस पद्धति के सहारे हम अपनी अनुभूतियों के रूप को समझना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सभी मानते हैं कि शरीर क्षणभंगुर है। इसलिए उसे महत्व न देकर अंतर्निरीक्षण करने में ही भलाई है। दूसरों की बुराइयों के बारे में सोचने के बजाय भगवान का मनन कर के सांसारिक मोह-माया से बचा जा सकता है। सांसारिक ऐश्वर्य और भोग-विलास मानव की अशांति और पतन का कारण होते हैं। यह जानते हुए भी मानव उनके भोग में लिप्त रहता है। सांसारिक लगाव से मुक्त रहने के लिए जरूरी है कि इंद्रियों के विषयों का मनन करते रहने से बचा जाए। अंतर्दर्शन एक प्रकार का आत्मपरीक्षण होता है, जिसमें खुद का विश्लेषण करते हुए अपने व्यक्तित्व की तरफ देखना और उसके अनुरूप उसे प्रेरणा मानते हुए कार्य करना होता है। जब आप ध्यान करते हैं तो अपनी भावनाओं को समझने की कोशिश करते हैं। यह अंतर्निरीक्षण का एक उदाहरण है। इससे व्यक्ति खुद का और अपने व्यवहार का विश्लेषण करता है। भावनात्मक जागरूकता और जागृति प्राप्त करना भी इसका एक लक्ष्य होता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे आप अपने व्यक्तित्व और उसका दूसरों पर पडऩे वाले प्रभाव का विश्लेषण कर सकते हैं। ऐसा व्यक्ति जिसने खुद को जीत लिया हो, वह अकेला होते हुए भी आत्मकेंद्रित नहीं होता है। ऐसे व्यक्ति में हर चीज को साफ और ध्यान से देखने की क्षमता होती है। ऐसा व्यक्ति निष्पक्ष होता है। उसके लिए अकेले में ऐसी विवेचना करते हुए समय व्यतीत करना सकारात्मक होता है। इससे व्यक्तिगत विकास और सृजनशीलता के लिए एक अच्छा और स्वस्थ वातावरण मिलता है।
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