सूत्रों का कहना है कि मंड्या से कांग्रेस का टिकट पाने के लिए सुमालता ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर दावेदारी पेश की है, लेकिन पार्टी से इस बारे में कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलने के कारण वह चुनाव लडऩे को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं।
भाजपा की एक रणनीति यह भी है यदि सुमालता भाजपा में शामिल हुए बगैर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ती हैं पार्टी उन्हें समर्थन दे सकती है। देखने वाली बात यह है कि अंबरीश के निधन से उत्पन्न सहानुभूति की लहर पर सवार सुमालता भाजपा में शामिल होती हैं या कांग्रेस अथवा भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी में उतरती हैं। लोकसभा चुनाव में मंड्या सीट पर रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।