बैंगलोर

कोविड अस्पतालों में अलग आइसीयू डायलिसिस इकाई की कमी मरीजों पर भारी

कोरोना वायरस के संक्रमण से शुगर स्तर बढऩे पर गुर्दा फेल होने का खतरा

बैंगलोरJul 16, 2020 / 12:34 am

Nikhil Kumar

dialysis machine

बेंगलूरु. गुर्दे की बीमारियों से पीडि़त मरीजों को डायलिसिस के लिए अलग इकाई सहित विशेष आइसीयू के साथ ज्यादा (Patients who have kidney disease and are also Covid-19 patient require more care and a separate Intensive Care Unit) देखभाल की जरूरत पड़ती है। लेकिन समय रहते अलग आइसीयू डायलिसिस इकाई (ICU) स्थापित करने पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण मरीजों को दिक्कत हो रही है। पर्याप्त संख्या में डायलिसिस तकनीशियन भी नहीं मिल पा रहे हैं। क्रॉनिक किडनी डिसीज (सीकेडी) के 50 से भी ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मरीज जान गंवा चुके हैं।

विक्टोरिया सरकारी अस्पताल स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रो यूरोलॉजी (आइएनयू) के एक चिकित्सक ने बताया कि अब तक कोरोना पॉजिटिव गुर्दा मरीजों को डायलिसिस करवाने के लिए नेफ्रोलॉजी विभाग लाया जाता है। पॉजिटिव मरीजों से अन्य में भी बीमारी फैलने का खतरा अधिक रहता था। मरीज को अस्पताल परिसर से होकर विभाग में लाया जाता है और डायलिसिस पूरा होने के बाद दोबारा आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। इस वजह से अस्पताल में रूटीन डायलिसिस के मरीजों को कई बार घंटों इंतजार करना पड़ता है। कुछ मामलों में अगली तारीख तक देनी पड़ती है।

बेंगलूरु मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की डीन डॉ. सी. आर. जयंती ने बताया कि मेडिकल इंटेंसिव केयर यूनिट (एमआइसीयू) में 14 बिस्तर हैं। इस एमआइसीयू में अब केवल कोरोना पॉजिटिव गुर्दा मरीजों का उपचार होगा, जिसमें डायलिसिस भी शामिल है। फिलहाल जनरल आइसीयू के करीब 10 फीसदी बिस्तरों पर गुर्दे के मरीज हैं। डायलिसिस के लिए इन्हें दूसरे यूनिट में ले जाना पड़ता है जो संक्रमण के प्रसार से खतरनाक है। एमआइसीयू में एक साथ सभी मरीजों को रखने से देखभाल के साथ डायलिसिस भी यहीं हो सकेगी।

राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट डिसीजेज (आरजीआइसीडी) के निदेशक डॉ. सी. नागराज ने बताया कि आरजीआइसीडी में डायलिसिस सुविधा नहीं है। कोरोना पॉजिटिव गुर्दा मरीजों को डायलिसिस के लिए अन्य अस्पताल ले जाना पड़ता है। आरजीआइसीडी में भी डायलिसिस के मरीजों के लिए अलग आइसीयू स्थापित करने की योजना है।

आइएनयू की गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. लीलावती ने बताया कि कोरोना के मरीजों में शर्करा का स्तर (शुगर लेवल) असामान्य रूप से बढ़ता है। मरीजों पहले से मधुमेह पीडि़त हो तो समस्या और बढ़ जाती है। शुगर लेवल अचानक बढऩे से गुर्दा फेल होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

मणिपाल अस्पताल के अध्यक्ष व गुर्दा रोक विशेषज्ञ डॉ. सुदर्शन बल्लाल ने बताया कि गुर्दे के मरीजों की अनदेखी हुई है। डायलिसिस और उपचार में देरी खतरनाक साबित हो सकती है। डायलिसिस मरीजों को भी चाहिए कि किसी भी कीमत पर नियमित डायलिसिस बंद या स्थगित नहीं करें। चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के. सुधाकर ने बताया कि ऐसे मरीजों के लिए अलग आइसीयू की व्यवस्था की जा रही है।

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