scriptसीरियल किलर सायनाइड मोहन की फांसी की सजा बरकरार | Serial killer Cyanide Mohan hangs up for hanging | Patrika News

सीरियल किलर सायनाइड मोहन की फांसी की सजा बरकरार

locationबैंगलोरPublished: Nov 16, 2017 11:14:12 pm

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सुलिया की सुनंदा हत्याकांड के दोषी सीरियल किलर सायनाइड मोहन कुमार की मौत की सजा को बरकरार रखी है

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बेंगलूरु. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सुलिया की सुनंदा हत्याकांड के दोषी सीरियल किलर सायनाइड मोहन कुमार की मौत की सजा को बरकरार रखी है। यहां बुधवार को जस्टिस रवि मलीमठ और जस्टिस जॉन माइकल कुन्हा की खंडपीठ ने मोहन के खिलाफ फैसला सुनाते हुए कहा कि जो परिस्थितियां और साक्ष्य मिले हैं उस आधार पर अधिकतम सजा (सजा-ए-मौत) लागू होती है। सुनंदा की हत्या फरवरी 2008 में हुई थी जबकि मोहन पर 20 अन्य हत्याओं का भी आरोप है।


अदालत ने मोहन को धारा 302 (हत्या), 328 (जहर देकर मारना), 417 (धोखाधड़ी) के तहत दोषी पाया गया। हालांकि, उसपर धारा 36 6 (अपहरण) और 376 (बलात्कार) का आरोप सिद्ध नहीं हुआ और अदालत ने इन मामलों में उसे दोषमुक्त करार दिया। इस तरह मोहन पर अभी तक तीन मामलों पर फैसला हो गया है।

सुलिया की रहने वाली सुनंदा 11 फरवरी 2008 को गायब हुई और उसी दिन रात में उसका शव मैसूरु केएसआरटीसी बस स्टैंड के पास से बरामद किया गया। अभियोजन पक्ष के अनुसार मोहन ने सुनंदा को नौकरी का लालच देकर मैसूरु स्थित एक लॉज लेकर गया। बाद में उसे केएसआरटीसी बस स्टैंड के पास सायनाइड की गोली देकर मार डाला। मोहन ने उसके शरीर से स्वर्ण आभूषण उतार लिए और उसे एक फायनांस कंपनी को दे दिया।


घर से निकलने से पहले सुनंदा ने अपने परिवार के सदस्यों को यह बताया कि वह कासरगोड़ जा रही है लेकिन वह मोहन के साथ मैसूरु पहुंच गई जहां उसे नौकरी के लिए एक साक्षात्कार देने का लालच दिया था। मोहन ने सुनंदा के सामने खुद को शशिधर बताया। उसने सुनंदा को यह भी बताया था कि उसपर एक दोष है जिसके कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा है और वह सिंदूर देकर उस दोष को दूर कर देगा।

अदालत ने इस सीरियल किलर के तीन मामलों में अभी तक फैसला सुनाया है। अनिता नामक एक महिला की हत्या के मामले में अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है वहीं लीलावती के साथ लूटपाट करने का दोषी मानते हुए उसे 5 साल की सजा सुनाई गई है। इससे पहले 21 दिसम्बर 2013 को मेंगलूरु जिला एवं सत्र अदालत ने उसे तीन हत्याओं को जुर्म में फांसी की सजा सुनाई थी जिसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा।

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