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हर चीज बांटें, मगर मां-बाप को नहीं

locationबैंगलोरPublished: Sep 08, 2018 09:54:44 pm

राजाजीनगर स्थानक में साध्वी संयमलता ने दान मुक्ति का वरदान, मां का करें सम्मान विषय पर कहा कि मां तो ममता का महाकाव्य है।

हर चीज बांटें, मगर मां-बाप को नहीं

हर चीज बांटें, मगर मां-बाप को नहीं

बेंगलूरु. राजाजीनगर स्थानक में साध्वी संयमलता ने दान मुक्ति का वरदान, मां का करें सम्मान विषय पर कहा कि मां तो ममता का महाकाव्य है। तीर्थंकर और पैगंबर को जन्म देने वाली मां है। उन्होंने कहा कि स्वर्ग कहीं है तो मां के चरणों में है। आज आपके पास जो दौलत है मां-बाप की बदौलत है।

दुनिया में हर चीज बांट लेना, मां- बाप को मत बांटना। मां-बाप का सपना तब टूट जाता है जब बेटा मां-बाप को वृद्धाश्रम भेज देता है। वृद्धाश्रम उनके लिए अभिशाप है जिनके कुलदीपक कुलअंगार बन रहे हैं। साध्वी कमलप्रज्ञा ने अंतगड़ सूत्र का वर्णन करते हुए कहा कि मोक्षगामी आत्माओं का चिंतन करने से कर्मों की निर्जरा होती है। त्रिशला महिला मंडल ने हाय कैसा जमाना विषय पर नाटिका प्रस्तुत की। ४०० से अधिक श्रावकों ने भगवान पाश्र्वनाथ मां पद्मावती एकासन किए। साध्वी कमलप्रज्ञा ने एकासन की विधि संपन्न करवाई। साध्वी सौरभप्रज्ञा ने कल्पसूत्र का वाचन किया। बिक्री हमारी खरीर तुम्हारी प्रतियोगिता में १५० श्रावकों ने भाग लिया।


अध्यात्मवाद का मधुर संगीत लाए पर्वाधिराज
बेंगलूरु. श्रीरामपुरम जैन स्थानक में साध्वी दिव्यज्योति ने कहा कि अध्यात्मवाद का मधुर संगीत लिए पर्वाधिराज आ गए हैं। आज की हवा की लहरिया त्याग का संदेश दे रही हैं। वे कह रही हैं कि आज भोग से निकल कर त्याग की ओर आ जाओ, अंधकार से निकल कर प्रकाश में आ जाओ, शरीर से निकल कर आत्मा के दर्शन करो। जीवन की यात्रा हम कर रहे हैं और हमें अपने लक्ष्य का पता नहीं है। यदि लक्ष्य नहीं चुना तो मानव की स्थिति बिना एड्रेस के पत्र के समान हो जाएगी। साध्वी दीप्तिश्री ने कहा कि इच्छाएं आकाश के समान अनंत हैं, जो कभी पूर्ण नहीं हो सकतीं।

आत्ममंथन का पर्व
बेंगलूरु. विजयनगर स्थानक में साध्वी मणिप्रभा ने कहा कि पर्युषण महापर्व आत्ममंथन और आत्मशुद्धि का पर्व है। शरीर की शुद्धि तो प्रतिदिन करते हैं, परंतु आत्मशुद्धि नहीं करते, इसलिए साल भर के बाद यह पर्युषण पर्व आता है। उन्होंने कहा कि साल भर में जितने भी पाप, जितने भी कर्म इस आत्मा पर चढ़े हैं उन पापों से आत्मा की शुद्धि करने के लिए पर्युषण आता है। आत्मा का शृंगार और सजावट कैसी होती है? क्या धन वैभव से? नहीं, आत्मा की सजावट होती है सद्गुणों से, आत्मिक गुणों से दर्शन, ज्ञान, चारित्र तप की साधना आराधना से आत्मा का शृंगार और सजावट होती है। सभा के दौरान रिया डागा की ११ की पचखान हुई। शांतिलाल लोढ़ा, घेवरचंद कटारिया की ओर से तपस्वी रिया को चांदी के सिक्के देकर सम्मान किया गया। अशोक संचेती ने संचालन किया।

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