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श्रावक जीवन स्वाध्यायमय हो-साध्वी आत्मदर्शानाश्री

locationबैंगलोरPublished: Nov 09, 2022 06:41:43 pm

Submitted by:

Yogesh Sharma

धर्मसभा का आयोजन

श्रावक जीवन स्वाध्यायमय हो-साध्वी आत्मदर्शानाश्री
श्रावक जीवन स्वाध्यायमय हो-साध्वी आत्मदर्शानाश्री
बेंगलूरु. साध्वी आत्मदर्शनाश्री ने बसवनगुड़ी स्थित शंखेश्वरा बेल में आयोजित धर्मसभा में कहा कि श्रावक जीवन स्वाध्यायमय हो। सत-साहित्य के पठन के रूप में स्वाध्याय की क्या उपयोगिता है। यह स्पष्ट है कि वस्तुत सत साहित्य का अध्ययन व्यक्ति के जीवन की दृष्टि को ही बदल देता है। ऐसे अनेक लोग हंै जिनकी सत-साहित्य के अध्ययन से जीवन की दिशा ही बदल गई। स्वाध्याय एक ऐसा माध्यम है जो एकांत के क्षणों में हमें अकेलापन महसूस नहीं होने देता है और सच्चे मित्र की भांति सदैव साथ रहता है और मार्गदर्शन करता है। साध्वी ने स्वाध्याय की परिभाषा को समझाते हुए कहा मन में सदैव मूल्यांकन चलता रहता है,स्वाध्याय के द्वारा सदैव हमको इसका परीक्षण करते रहना चाहिए। कुछ लिखते रहने की प्रवृति भी स्वाध्याय से प्राप्त होती है जो सदैव ताजगी प्रदान करती है। स्वाध्याय से कर्म क्षीण होते हैं, ज्ञान देने की क्षमता जागृत होती हैं। स्वाध्याय वह योग है जिसमे ज्ञानयोग, कर्मयोग एवं भक्तियोग का समन्वय है एवं जिससे परमात्मा पद की प्राप्ति होती है।
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