मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा कि प्रदेश में भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार सबसे भ्रष्ट सरकार थी और अब भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार 90 फीसदी कमीशन सरकार है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलूरु और मैसूरु में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस सरकार को 10 फीसदी कमीशन सरकार की संज्ञा देते हुए सबसे भ्रष्ट सरकार कहा था। सिद्धरामय्या ने सदन में कहा कि ‘भाजपा और उसके नेता मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने में विफल रहे हैं। कानून के मुताबिक अगर कोई किसी पर आरोप लगाता है तो उसे अपने आरोप को साबित करना पड़ता है। भाजपा और उसके नेताओं ने हमारे ऊपर भ्रष्टचार का आरोप लगाया और हमारी सरकार को 10 फीसदी कमीशन सरकार कहा। लेकिन, मेरी सरकार के खिलाफ लगाए गए इन आरोपों को साबित करने में विफल रहे हैं।’
मुख्यमंत्री के बयान पर भाजपा के सदस्य उठ खड़े हुए दोनों पक्षों के बीच तीखी नोंक-झोंक शुरू हो गई। शोरगुल के बावजूद मुख्यमंत्री पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के खिलाफ हमला बोलते रहे। उन्होंने कहा कि उस पार्टी से स्वच्छ प्रशासन का कोई पाठ पढऩे की आवश्यकता नहीं है जिस पार्टी के शासनकाल में चार मंत्री भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल गए। सिद्धरामय्या ने कहा कि मेरी सरकार का एक भी मंत्री जेल नहीं गया फिर भी भाजपा मेरी सरकार को भ्रष्ट कह रही है।
प्रधानमंत्री पर एक और निशाना लगाते हुए सिद्धरामय्या ने कहा कि जब नीरव मोदी 11 हजार करोड़ लेकर देश से भाग रहा था तब केंद्र सरकार दूसरी ओर देख रही थी। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा ‘नीरव मोदी 11 हजार करोड़ लेकर भाग गया। विजय माल्या और ललित मोदी भी भाग गए। केंद्र सरकार उस वक्त क्या कर रही थी?’ भाजपा द्वारा प्रदेश कांग्रेस सरकार के प्रदर्शन पर सवाल उठाए जाने पर भी सिद्धरामय्या ने कड़े प्रहार किए। उन्होंने कहा कि ‘मेरी सरकार काम नहीं कर रही है तो ये 8.5 फीसदी की विकास दर कहां से आ गई?
मुख्यमंत्री का विरोध करते हुए नेता प्रतिपक्ष जगदीश शेटट्र ने कहा कि सिद्धरामय्या सरकार देश की सबसे भ्रष्ट सरकार है जिसके कई मंत्री राज्यभर में बेनामी संपत्ति अर्जित करने में लगे हुए हैं। यह सरकार अर्कावती ले-आउट घोटाले को भी दबाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। वहीं विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने कहा कि कहा कि सिद्धरामय्या सरकार हताशा में केंद्र सरकार को 90 फीसदी कमीशन सरकार कह रही है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री के तेवर कम नहीं हुए और लगातार भाजपा पर हमला बोलते रहे। अंतत: भाजपा सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया