बेंगलूरु. मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान उपहार के तौर पर मिली चांदी की सामग्रियों को दान करने का फैसला किया है। इससे ४०० किलोग्राम का एक रथ बनेगा जो सिद्धरामय्या शिवमंदिर को अर्पित करेंगे।
आमतौर पर धार्मिक अनुष्ठानों से दूर रहने वाले सिद्धरामय्या के इस फैसले को राजनीतिक हलकों में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के उन्हें हिंदू विरोधी बताने के आरोपों पर पलटवार के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने अपने हाल के दौरों के दौरान सिद्धरामय्या सरकार को हिंदू विरोधी करार दिया था। हालांकि, इससे पहले सिद्धू कई बार अपने नाम सिद्ध और राम होने का हवाला देते हुए खुद को सच्चा हिंदू बता चुके हैं।
बताया जाता है कि सिद्धरामय्या ने अपने गृह जिले मैसूरु के पास ही चामराजनगर के मलेमहादेवश्वर पहाड़ी पर स्थित प्रसिद्ध प्राचीन मले महादेवश्वर
मंदिर ? को दान करने फैसला मंदिर प्रबंधन बोर्ड के अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद लिया। बैठक के दौरान मंदिर के अधिकारियों ने सिद्धरामय्या को बताया कि उन्हें रथ के लिए करीब 400 किलोग्राम चांदी की जररुत है। सिद्धरामय्या ने इसके लिए सरकारी धन खर्च करने के बजाय पिछले पांच साल के दौरान विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों से उपहार में मिली चांदी की सामग्री मंदिर को दान करने का फैसला किया। मले महादेश्वर मंदिर दक्षिण कर्नाटक में एक बड़ा तीर्थ स्थल और इस
शिव मंदिर का दर्शन करने हर साल काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
सोशल मीडिया पर जंगसिद्धरामय्या की इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेस और भाजपा समर्थकों के बीच वाक्युद्ध भी शुरु हो गया। पिछले कुछ समय से दोनों पक्षों के बीच हिंदुत्व के मसले को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश गुंडूराव ने ट्वीट किया कि इससे सिद्धरामय्या ने जाहिक कर दिया कि हिंदू होने के लिए उन्हें योगी आदित्यनाथ से सीख लेने की जरुरत नहीं है। हिंदू होना निजी मसला है, राजनीतिक नहीं। पिछले सप्ताह बेंगलूरु की सभा में योगी ने सिद्धू के हिंदू होने के दावे पर कहा था कि अगर वे हिंदू तो गोमांस खाने की वकालत क्यों करते हैं।