सिद्धरामय्या ने कहा कि राज्य में पार्टी उनके नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रही है और इसलिए वह स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। इससे पहले खरगे ने कहा था कि चुनाव के बाद अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो चुने हुए विधायक ही अगला मुख्यमंत्री तय करेंगे। चुनाव सिद्धरामय्या के नेतृत्व में लड़ा जा रहा है लेकिन आलाकमान ही मुख्यमंत्री तय करेगा।
वह जब चाहे किसी को बदल सकता है क्योंकि आखिरी शक्ति उसीके हाथ है। लेकिन, सिद्धरामय्या ने कहा कि राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए वहीं कांग्रेस की पहली पसंद है। उन्होंने पूरा विश्वास जताते हुए कहा कि उनके अच्छे कार्यकाल और जन हितैषी योजनाओं के चलते कांग्रेस फिर एक बार चुनाव जीतकर सरकार बनाएगी। भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी की संज्ञा देते हुए सिद्धरामय्या ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर पीएम मोदी जरूर नजर आते हैं लेकिन भाजपा एक संप्रदायिक पार्टी है चाहे वह राज्य स्तर पर हो या राष्ट्रीय स्तर पर। इन सांप्रदायिक शक्तियों को हराना प्राथमिकता है और सामाजिक न्याय स्थापित करना है। इन दोनों उद्देश्यों को लेकर पार्टी आगे बढ़ रही है।
मुख्यमंत्री ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को एक कुशल रणनीतिकार मानने से इनकार करते हुए कहा कि वह किसी तरह बाकी राज्यों में जीतते रहे हैं। यहां तो वह कोई रणनीति नहीं है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह के उन आरोपों को भी खारिज किया जिमसें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस सरकार ने पड़ोसी राज्य केरल से राजनीतिक हिंसा का मॉडल अपनाया है। उन्होंने कहा कि यहां माहौल भाजपा खराब कर रही है।
वह समाज में अशांंति पैदा कर रही है और राज्य सरकार ने उसपर नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं। एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली जनता दल (ध) भी धर्मनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्ध नहीं है। वे पहले से ही भाजपा के साथ हैं और पहले 20 महीने की साझा सरकार भी बना चुके हैं। लेकिन, कांग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है, त्रिशंकु विधानसभा का सवाल ही पैदा नहीं होता।
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा से अपने संबंधों पर कहा कि कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनके विचारधारा से दूरी बना ली है। वे अब सौ फीसदी कांग्रेसी हैं और सामाजिक न्याय एवं धर्मनिपेक्षता के प्रति प्रतिबद्ध हैं।