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विधायक दल का नेता व नेता प्रतिपक्ष पद अलग करने के पक्ष में नहीं सिद्धरामय्या

locationबैंगलोरPublished: Jan 18, 2020 08:11:15 pm

Submitted by:

Sanjay Kulkarni

पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरामय्या ने नेता प्रतिपक्ष तथा कांग्रेस विधायक दल के नेता का पद अलग-अलग व्यक्ति को सौंपे जाने की संभावनाओं का विरोध किया है। सांकेतिक तौर पर उन्होंने दोनों ही पदों पर अपना दावा भी किया है। विधानसभा उप चुनाव के बाद वे विधायक दल के नेता पद से इस्तीफा दे चुके हैं, हालांकि इसे अभी स्वीकार नहीं किया गया है।

विधायक दल का नेता व नेता प्रतिपक्ष पद अलग करने के पक्ष में नहीं सिद्धरामय्या

विधायक दल का नेता व नेता प्रतिपक्ष पद अलग करने के पक्ष में नहीं सिद्धरामय्या

बेंगलूरु.पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धरामय्या ने नेता प्रतिपक्ष तथा कांग्रेस विधायक दल के नेता का पद अलग-अलग व्यक्ति को सौंपे जाने की संभावनाओं का विरोध किया है। सांकेतिक तौर पर उन्होंने दोनों ही पदों पर अपना दावा भी किया है। विधानसभा उप चुनाव के बाद वे विधायक दल के नेता पद से इस्तीफा दे चुके हैं, हालांकि इसे अभी स्वीकार नहीं किया गया है।
शनिवार को शहर में एक समारोह में भाग लेने से पूर्व सिद्धरामय्या ने इस बात पर भी नाखुशी जाहिर की कि पार्टी के किसी भी वरिष्ठ नेता ने अभी तक उनको नेता प्रतिपक्ष पद से दिया गया इस्तीफा वापस लेने के लिए नहीं कहा है। इस बीच नेता प्रतिपक्ष तथा विधायक दल के नेता पद के लिए दो अलग नेताओं की नियुक्ति को लेकर पार्टी आलाकमान विचार कर रहा है। सिद्धरामय्या ने अपनी राय रखी कि यह दोनों पद किसी एक ही व्यक्ति के पास होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की तर्ज पर इन दोनों पदों पर अलग नेताओं की नियुक्ति ठीक नहीं है, क्योंकि महाराष्ट्र तथा कर्नाटक की राजनीतिक स्थिति काफी भिन्न है। जो व्यवस्था महाराष्ट्र की राजनीति के लिए ठीक है, वह व्यवस्था कर्नाटक पर थोपी नहीं जानी चाहिए।
सूत्रों के अनुसार कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष पद के लिए पूर्व मंत्री डीके शिवकुमार का नाम लगभग माना जा रहा है। ऐसी स्थिति में सिद्धरामय्या अब नेता प्रतिपक्ष तथा कांग्रेस विधायक दल का नेता बनना चाहते हैं। सिद्धरामय्या अध्यक्ष के अलावा 4 कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति के पक्ष में हैं, लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे समेत कांग्रेस के मूल नेताओं ने लामबंद होकर इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया।
वहीं, डीके शिवकुमार का भी मानना है कि अध्यक्ष के अलावा कोई कार्यकारी नहीं होना चाहिए। संगठन में अधिकारों के समानांतर केंद्रों के कारण पार्टी चलाना संभव नहीं होगा। माना जा रहा है कि लिंगायत, दलित, पिछड़ा तथा मुस्लिम समुदायों को लुभाने के लिए 4 कार्यकारी अध्यक्षों किया जा सकता है।
बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान प्रदेश अध्यक्ष अध्यक्ष, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष तथा कांग्रेस विधायक दल के नेता पदों पर अलग-अलग नेताओं की नियुक्ति कर विकेंद्रीकरण के पक्ष में है।

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