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कांग्रेस में सत्ता का पर्याप्त सुख भोग चुके सिद्धरामय्या: मुनियप्पा

locationबैंगलोरPublished: Jan 21, 2020 08:49:56 pm

Submitted by:

Surendra Rajpurohit

पार्टी का एक धड़ा प्रदेश अध्यक्ष पद के साथ दो या चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने और दूसरा सिर्फ अध्यक्ष की ही नियुक्ति के पक्ष में है। यही हाल विस में नेता प्रतिपक्ष, विधायक दल के नेता के पद को लेकर है। सिद्धरामय्या खेमा चाहता है कि दोनों पद पूर्व की भांति एक ही व्यक्ति के पास रहें और विरोधी गुट चाहता है कि महाराष्ट्र की तरह दोनों पदों पर अलग-अलग नेताओं को आसाीन किया जाए। आलाकमान पर जल्द नियुक्ति का दबाव भी बढ़ा है।

कांग्रेस में सत्ता का पर्याप्त सुख भोग चुके सिद्धरामय्या: मुनियप्पा

कांग्रेस में सत्ता का पर्याप्त सुख भोग चुके सिद्धरामय्या: मुनियप्पा

बेंगलूरु. कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व में बदलाव को लेकर कयासों और कूटनीतिक तौर पर दावेदारी का दौर जारी है। कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पदों पर नियुक्तियां होनी हैं, क्योंकि इन दोनों पदों से क्रमश: दिनेश गुंडूराव और सिद्धरामय्या इस्तीफा दे चुके हैं। हालांकि उनके इस्तीफे अभी आलाकमान ने स्वीकार नहीं किए हैं।


पार्टी का एक धड़ा प्रदेश अध्यक्ष पद के साथ दो या चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने और दूसरा सिर्फ अध्यक्ष की ही नियुक्ति के पक्ष में है। यही हाल विस में नेता प्रतिपक्ष, विधायक दल के नेता के पद को लेकर है। सिद्धरामय्या खेमा चाहता है कि दोनों पद पूर्व की भांति एक ही व्यक्ति के पास रहें और विरोधी गुट चाहता है कि महाराष्ट्र की तरह दोनों पदों पर अलग-अलग नेताओं को आसाीन किया जाए। आलाकमान पर जल्द नियुक्ति का दबाव भी बढ़ा है।


मंगलवार को वरिष्ठ नेता व अध्यक्ष पद की दावेदारी ठोक रहे केएच मुनियप्पा ने पार्टी नेता सिद्धरामय्या पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में 14 साल पहले शामिल हुए सिद्धरामय्या निरंतर सत्ता का सुख भोगते रहे हैं। दूसरी तरफ 40 सालों से अधिक समय तक कांग्रेस में रहे नेताओं को सिद्धरामय्या की तरह सत्ता सुख और नेतृत्व करने का अवसर नहीं मिल सका है।


मुनियप्पा ने मंंगलवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि प्रदेश अध्यक्ष पर नियुक्ति के बारे में नेताओं की राय जानने को पर्यवेक्षकों का एक दल आया था। वरिष्ठ नेताओं ने इस दल के समक्ष अपनी राय रखी है और अनेक लोगों ने अध्यक्ष पद के लिए उनके नाम का प्रस्ताव दिया है। पर्यवेक्षकों की राय के अनुसार प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी।


कार्यकारी अध्यक्षों से अध्यक्ष का बोझ कम होगा
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से जल्द ही इस बारे में निर्णय किए जाने की संभावना है। संगठन को मजबूत करना ही हमारा मूल मकसद है। निर्णायक पदों पर बैठने वालों को सभी को विश्वास में लेकर निर्णय करने चाहिए। मुनियप्पा ने कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्तियों के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि पहले भी कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं और अब भी ईश्वर खंड्रे कार्यकारी अध्यक्ष हैं। कार्यकारी अध्यक्ष चाहे कितने भी क्यों ना हों, प्रदेश अध्यक्ष का पद प्रमुख होता है। कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्तियों से अध्यक्ष पर काम के बोझ को कम किया जा सकता है और इससे पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा।


अलग-अलग हों विपक्ष और विधायक दल के नेता
मुनियप्पा ने विधायक दल के नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद के लिए अलग-अलग व्यक्तियों की नियुक्तियां करने की पुरजोर वकालत की और कहा कि महाराष्ट्र में भी इसी तरह का प्रयास किया गया है। पार्टी में अनेक वरिष्ठ नेता हैं, लिहाजा अहम पदों का समान बंटवारा होना चाहिए, तभी पार्टी का सांगठनिक ढांचा सुधारा जा सकता है। वे इस बारे में पार्टी महासचितव केसी वेणुगोपाल को सब कुछ बता चुके हैं। केपीसीसी की एक समन्वय समिति के गठन की चर्चाएं चल रही हैं। हर तीन माह में समन्वय समिति की बैठक बुलाकर पार्टी के संगठन का कार्य कैसे चल रहा है, इस बारे में चर्चा की जा सकती है।

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