सिद्धरामय्या ने सोमवार को मैसूरु में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मंत्रिपदों के दावेदारों को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिलने तक की अवसर नहीं दिया गया। विश्वनाथ ने पहले ही कह दिया है कि उपचुनाव जीते सभी विधायकों को मंत्री पद नहीं दिए जाएंगे और यदि दिए जाते हैं तो देख लेना।
सिद्धरामय्या ने आरोप लगाया कि गठबंधन सरकार का पतन होने के बाद राज्य में सरकारी नाम की कोई चीज नहीं है। गठबंधन सरकार को बाद इस सरकार को सत्ता में आए छह माह बीत चुके हैं पर ये लोग केवल झूठ बोलकर घूम रहे हैं। अभी तक मंत्रिमंडल का पूर्ण रूप से गठन ही नहीं हुआ है लिहाजा यह दावा नहीं किया जा सकता कि सरकार ने टेकआफ कर लिया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य में सीएए को लागू करने का राज्यपाल को कोई विशेषाधिकार नहीं हैं। चुनावी व्यवस्था से कोई बड़ा नहीं है। राज्यपाल की नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा की जाती है।
देश के 13 राज्यों ने सीएए का विरोध किया है और यहां तक कि एनडीए के मित्र दल भी इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा को चुनोती देते हुए कहा कि यदि भाजपा के पास हिम्मत हो तो वह अपने मित्र दलों की सरकारों को बर्खास्त कर दे .या उन सरकारों से अपना समर्थन वापस लेकर दिखाए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान जल्द ही केपीसीसी के नए अध्यक्ष की नियुक्ति करेगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किसे बनाना चाहिए इस बारे में उन्होंने आलाकमान को अपनी राय बता दी है। मेरा भी यही कहना है कि नियुक्ति जल्द कर दी जानी चाहिए।किसके नाम की सिफारिश की गई है इस बारे में सार्वजनिक तौर पर बताया नहीं जा सकता।