बैंगलोर

धीमी रफ्तार से चल रही स्मार्ट सिटी परियोजना

एक साल बाद भी एसपीवी में नहीं हुई स्वतंत्र एमडी की नियुक्ति
केन्द्र ने जारी किए 100 करोड़ रुपए लेकिन जमीन पर कोई काम नहीं

बैंगलोरOct 12, 2018 / 08:29 pm

Ram Naresh Gautam

धीमी रफ्तार से चल रही स्मार्ट सिटी परियोजना

बेंगलूरु. स्मार्ट सिटी परियोजना को बेंगलूरु में साकार करने के लिए विशेष निकाय (एसपीवी) का गठन हुए एक वर्ष बीत चुका है लेकिन अब तक केन्द्र सरकार की परियोजनाएं शुरू नहीं हुई हैं। यहां तक कि हाल ही में स्मार्ट सिटी के लिए 100 करोड़ रुपए जारी हुए लेकिन एसपीवी ने अब तक परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर काम करना शुरू नहीं किया है।
स्मार्ट सिटी के तहत परियोजनाओं का कार्यान्वयन शुरू नहीं होने के पीछे मुख्य कारण एसपीवी के प्रबंध निदेशक (एमडी) की नियुक्ति नहीं होना बताया जा रहा है। स्मार्ट सिटी मिशन दिशा निर्देशों में अनिवार्य रूप से स्वतंत्र एमडी की नियुक्ति का प्रावधान है। नगर विकास विभाग (यूडीडी) ने पिछले वर्ष अक्टूबर-2017 में बीबीएमपी आयुक्त को एसपीवी का अतिरिक्त प्रभार दिया था। ऐसा माना जा रहा है कि आयुक्त पर शहर के प्रबंधन की जिम्मेदारियों का दबाव है जिस कारण एसपीवी का काम अटक गया है।
यूडीडी के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार बीबीएमपी आयुक्त को एसपीवी का एमडी के रूप में अतिरिक्त प्रभार सौंपने के पीछे परियोजनाओं के कार्यान्वयन में बेहतर सामंजस्य स्थापित करना था। अगर स्वतंत्र एमडी की नियुक्ति होती है तो शहर में परियोजनाओं की रूपरेखा तय करने और उनके कार्यान्वयन को लेकर देा शक्तियां काम करने लगेंगी, इससे परियोजनाओं के लंबित होने की संभावना है। इसलिए बीबीएमपी आयुक्त को ही अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
 

पालिका के अधिकारी बन सकते हैं एमडी
हालांकि, स्मार्ट सिटी परियोजना के कार्यों में गति नहीं पकडऩे के कारण अब माना जा रहा है कि यूडीडी जल्द ही बीबीएमपी आयुक्त से अतिरिक्त प्रभार लेकर बीबीएमपी के किसी वरिष्ठ अधिकारी को एमडी का प्रभार सौंपेगा। वहीं राज्य सरकार ने निदेशक मंडल में दो विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति अभी तक नहीं की है। 15 निदेशक मंडल में 13 नियुक्त किए जा चुके हैं जिसमें यूएलबी और राज्य सरकार के छह-छह प्रतिनिधि जबकि भारत सरकार के एक प्रतिनिधि हैं।

तीसरी सूची में चयनित हुआ था बेंगलूरु
बेंगलूरु स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत चुने गए शहरों की केंद्र सरकार की सूची में दो बार विफल रहा था और माना जाता है कि राजनीतिक नेताओं के दबाव के कारण तीसरी सूची में शहर का नाम आया था। इस मिशन का उद्देश्य बुनियादी आधारभूत संरचना, स्वच्छ और टिकाऊ माहौल और सेवा संबंधी स्मार्ट समाधानों के आवेदन, सड़क विकास, नालियों के निर्माण और विकासशील बाजारों में नियमित बुनियादी ढांचा को विकसित कर शहर के जीवन में बेहतर गुणवत्ता लाना है।
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