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कर्नाटक : कोरोना टीके को लेकर कॉर्पोरेट, छोटे-मध्यम अस्पताल आमने-सामने

locationबैंगलोरPublished: Jun 14, 2021 01:16:17 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

– पीएचएएनए ने कंपनियों पर लगाया भेदभाव का आरोप- सरकार से हस्तक्षेप की अपील

कर्नाटक : कोरोना टीके को लेकर कॉर्पोरेट, छोटे-मध्यम अस्पताल आमने-सामने

बेंगलूरु. कोरोना वैक्सीन को लेकर कॉर्पोरेट, छोटे व मध्यम अस्पताल एक बार फिर आमने-सामने हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स एसोसिएशन (पीएचएएनए) ने टीका निर्माता कंपनियों पर छोटे व मध्यम अस्पतालों को आर्डर के बावजूद वैक्सीन नहीं देने का आरोप लगाया है।

पीएचएएनए के प्रतिनिधियों के अनुसार स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के. सुधाकर को पत्र भेज कर समस्या से अवगत कराने के करीब एक सप्ताह बाद भी समाधान नहीं हुआ है। पीएचएएनए सरकार से हस्तक्षेप और निजी अस्पतालों को आपूर्तिकर्ताओं से टीके खरीदने में मदद करने के लिए एक नोडल अधिकारी को नियुक्त करने की अपील की है।

पीएचएएनए के अध्यक्ष डॉ. एचएम प्रसन्ना ने कहा है कि राज्य के करीब 70 फीसदी अस्पताल छोटे और मध्यम वर्ग में आते हैं। अधिकांश अस्पतालों में टीकों का स्टॉक शून्य है। वैक्सीन खरीदने की वर्तमान नीति छोटे व मध्यम अस्पतालों के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है। जनस्वास्थ्य के लिए यह ठीक नहीं है। छोटे और मध्यम निजी अस्पतालों को निर्माताओं से टीके नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बड़ी शृंखला वाले कॉर्पोरेट अस्पतालों के पास राज्य के कोटे के टीके आसानी से पहुंच रहे हैं। ऐसे अस्पतालों को टीके की ज्यादा खुराकें आवंटित हो रही हैं। इस कारण अन्य छोटे, बड़े अस्पताल टीकों से वंचित हैं। टीके का व्यापार सही नहीं है।

डॉ. प्रसन्ना ने कहा कि वे किसी भी अस्पताल का नाम नहीं लेना चाहते हैं लेकिन कई कॉर्पोरेट अस्पताल अपने रिसॉर्ट, कॉर्पोरेट कार्यालय और अपार्टमेंट आदि में आसानी से टीकाकरण अभियान चला रहे हैं जबकि छोटे और मध्यम अस्पतालों को टीके की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रभाव वाले बड़े अस्पताल थोक में टीके खरीदते हैं। छोटे और मध्यम निजी अस्पतालों को निर्माताओं से वैक्सीन नहीं मिल रही है। आर्डर के बावजूद आपूर्ति में देरी हो रही है। वैक्सीन सभी तक आसानी से पहुंचनी चाहिए। टीका निर्माता चाहते हैं कि बड़े अस्पताल थोक में टीकों की खरीद करें और एक ही बार में भुगतान करें, जो छोटे अस्पतालों के लिए संभव नहीं है।

सरकार से हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए एसीइ सुहास मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के निदेशक डॉ. जगदीश हिरेमठ ने कहा कि विभिन्न चैनलों के माध्यम से बार-बार संवाद के बाद भी छोटे और मध्यम अस्पतालों को वैक्सीन की खुराक नहीं दी गई है।

उन्होंने कहा, ‘हम दोनों वैक्सीन निर्माताओं से संपर्क कर रहे हैं। लेकिन, कोई जवाब नहीं आया है। कोविशील्ड की 15,000 खुराक और कोवैक्सीन की लगभग 3,000 खुराक का अनुरोध किया था। दोनों में से किसी कंपनी ने भी हमें जवाब नहीं दिया। हम अप्रेल से ईमेल और अन्य संचार भेज रहे हैं। कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।’

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