उन्होंने कहा कि प्रदूषण से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में गिरावट आई है। पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। मिट्टी और इसकी उपयोगिता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसकी कीमत और महत्व को लेकर लोगों को फर्क नहीं पड़ता है। मिट्टी भी हमारे लिए उतनी ही जरूरी है, जितने आवश्यक हवा और पानी हैं।
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली के प्रो. मोहम्मद मजहर अली ने कहा कि वायु प्रदूषण की बात सभी करते हैं, लेकिन मिट्टी को भूल जाते हैं। उस मिट्टी को जिस पर देश की 70 फीसदी आबादी निर्भर है। मिट्टी को दूषित होने से नहीं बचाया गया तो भविष्य अंधकार में है। कर्नाटक वाटरशेड विकास विभाग के आयुक्त प्रभाष चंद्र रे ने कहा कि मिट्टी संरक्षण के लिए विभिन्न कार्यक्रम हैं। शोधकर्ताओं को भी चाहिए कि शोध के माध्यम से इसमें सहयोग करें।