बैंगलोर

कभी कभी आंखों में पानी बहुत जरूरी है…

बही काव्यरस की त्रिवेणी

बैंगलोरSep 11, 2018 / 01:03 am

Ram Naresh Gautam

कभी कभी आंखों में पानी बहुत जरूरी है…

बेंगलूरु. उत्तरप्रदेश सेवा मंडल के तत्वावधान में रविवार को अम्बेडकर भवन में देवेन्द्र गोयल की स्मृति में आयोजित कवि सम्मेलन में हास्य, व्यंग्य और गीत-गजल का श्रोताओं ने आनंद लिया।
दीप प्रज्वलन व गणपति वंदना से शुरू कार्यक्रम में अशोक शास्त्री, मंडल अध्यक्ष एनके गुप्ता, उपाध्यक्ष केके दुबे व अन्य अतिथियों ने लेखिका उषा गोयल की पुस्तक ‘देव-जर्नी ऑफ लाइफ का विमोचन किया। कवि सम्मेलन में अमरावती के कवि मनोज मद्रासी ने हास्य व्यंग्य रचनाओं से मनोरंजन किया। डॉ निधि बघेल ने ‘रात आफताबी थी, सुबह कजरारी है, अब भी जैसे आंखों में रात की खुमारी है और ‘अब नई रंगत जमीं की आसमानी चाहिए, चांद-सूरज के सफर की इक कहानी चाहिए सुनाकर श्रोताओं को भावविभोर कर खूब तालियां बटोरीं। हास्य कवि महेश दुबे ने अपनी हास्य रचना ‘ईचक दाना बीचक दाना दाने ऊपर दाना के माध्यम से बाबाओं के लक्षण बतलाते हुए उनके कारनामों का जिक्र किया तो सभागार तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। इसके बाद उन्होंने बुढ़ापे की स्थिति का चित्रण करने वाला एक मर्मस्पर्शी गीत ‘टिमटिमा रहा दीया तमाम रात जल चुका, शर थे जो तुणीर में विरुद्ध तम के चल चुके सुनाया। कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे डॉ. आदित्य शुक्ला ने उत्तर प्रदेश की महिमा का बखान करते हुए एक गीत ‘तेरी गोद में खेले हैं, राम कृष्ण बलराम, मेरे प्रदेश की माटी तुझको बारम्बार प्रणाम तथा ‘कभी कभी आंखों में पानी बहुत जरूरी है, हर जीवन में एक कहानी बहुत जरूरी है सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही लूटी। हास्य कवि डॉ सुरेंद्र शर्मा ने अनूठे अंदाज में पत्नी पीडि़त पतियों की व्यथा पर रचनाएं और जीवन की विसंगतियों पर चोट करने वाले व्यंग्य बाण छोड़े, जो श्रोताओं के दिलों को भेद गए। इनमें वर्तमान सामाजिक परिवेश व मानव जीवन से जुड़े सभी पहलुओं को छूने का उनका प्रयास रहा। कार्यक्रम में पीयूष गोयल, आनंद साबू, अजय कुमार जैन, प्रमोद गुप्ता, अशोक शर्मा आदि ने अतिथियों, कवियों व लेखिका उषा का सम्मान किया गया। संचालन नीलेश गुप्ता व रेश्मा गोयल ने किया।

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