प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने जो कार्य किया है, उसे देश की जनता भली-भांति जानती है। लिहाजा उनको किसी के प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है। उनके पास अब राष्ट्रीय राजनीति के लिए समय नहीं है। वे आने वाले दिनों में केवल जद-एस को मजबूत करने पर ही ध्यान केंद्रित करेंगे।
गत 15 दिन से जिला इकाई के पदाधिकारियों के साथ बैठकों का सिलसिला चल रहा है। किसी नेता के पार्टी छोड़ देने से पार्टी के संगठन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता ही वास्तव में पार्टी की नींव हैं। ऐसे कार्यकर्ताओं के आधार पर पार्टी संगठन को और मजबूत किया जाएगा।
अन्य पार्टियों से आयातित नेताओं के बदले अब पार्टी के कार्यकर्ताओं को ही नेता के रूप में विकसित किया जाएगा। लोगों की समस्याओं के हल के लिए सत्ता कोई मायने नहीं रखती। सत्ता के बगैर भी उनकी पार्टी ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष किया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा बाढ़ पीडि़तों के लिए केंद्र सरकार से अनुदान प्राप्त करने का हरसंभव प्रयास कर रहें है।
इस मामले को लेकर राजनीति करने की आवश्यकता नहीं है। जनता दल-एस एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाते हुए विधानमंडल के दोनों सदनों में जनता की समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष करेगा। अगर कांग्रेस पाटी दोस्ती नहीं चाहती है तो उनकी पार्टी अकेले चलने के लिए तैयार है। हाल में राज्य के कुछ कांग्रेस नेताओं के बयानों से यह प्रतीत होता है कि कांग्रेस के ये नेता जनता दल-एस केसाथ दोस्ती नहीं चाहते हैं।