बैंगलोर

पुस्तक पढऩे के लिए समय निकालें : सुरेशकुमार

आज कल पुस्तक पढऩे के लिए समय का अभाव होने की बात कही जाती है। लेकिन समय नही होने का बहाना करने के बदले हमें पुस्तक पढऩे के लिए समय निकालना होगा। प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री सुरेशकुमार ने यह बात कही। गांधी स्मारक निधि भवन के सभागार में सपना बूक हाउस की ओर से एक साथ 50 कन्नड़ पुस्तकों के विमोचन समारोह में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि अद्यतन संवहन माध्यमों के उपयोग में व्यस्त युवा वर्ग पुस्तकों की पढाई से दूर हो रहा है

बैंगलोरNov 30, 2019 / 09:10 pm

Sanjay Kulkarni

पुस्तक पढऩे के लिए समय निकालें : सुरेशकुमार

पुस्तक पढऩे के लिए समय निकालें : सुरेशकुमार
एक साथ 50 पुस्तकों का विमोचन
बेंगलूरु.आज कल पुस्तक पढऩे के लिए समय का अभाव होने की बात कही जाती है। लेकिन समय नही होने का बहाना करने के बदले हमें पुस्तक पढऩे के लिए समय निकालना होगा। प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री सुरेशकुमार ने यह बात कही।
यहां शनिवार को गांधी स्मारक निधि भवन के सभागार में सपना बूक हाउस की ओर से एक साथ 50 कन्नड़ पुस्तकों के विमोचन समारोह में भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि अद्यतन संवहन माध्यमों के उपयोग में व्यस्त युवा वर्ग पुस्तकों की पढाई से दूर हो रहा है। अभी ऑनलाइन पर भी पुस्तकों की खरीदी संभव होने के कारण युवाओं को पुस्तक पढ़कर अपने शब्द भंडार का विस्तार करना चाहिए। पुस्तकों में छिपा ज्ञान का भंडार तथा तर्जुबा हमारे जीवन की दशा बदल सकता है।
उन्होनें कहा की कन्नड़ भाषा तथा संस्कृति की रक्षा की बाते बहुत की जा रही है। लेकिन ऐसी बाते करने से पहले हमें स्वयं को पूछना होगा की हमने कन्नड़ भाषा तथा संस्कृति की रक्षा के लिए अभी तक कौनसा योगदान दिया है। मौजूदा युवा वर्ग पुस्तकों की पढाई से दूर होने के कारण ऐसे युवाओं को कन्नड़ भाषा की समृद्धता का परिचय नही है।हमे इस बात को याद रखना होगा की देश में हिंदी के बाद केवल कन्नड़ ही एक मात्र क्षेत्रीय भाषा है जिसके साहित्य को 8 ज्ञानपीछ पुरस्कारों से नवाजा गया है।
आदिचुंचनगिरी मठ के प्रमुख डॉ निर्मलानंद नाथ ने कहा कि युवाओं डिजिटल पुस्तकों की पढ़ाई में रूची लेनी चाहिए। पुस्तक ही हमारे सच्चे दोस्त तथा मार्गदर्शक है। श्रेष्ठ साहित्यकारों ने अपनी अनूठी साहित्य आराधना के माध्यम से जीवन का सार ही उनकी कृतियों में उतारा है। ऐसी साहित्य रचनाओं का अध्ययन हमें संकुचित मानसिकता से मुक्ति दिला सकता है।
कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ एचपी नागराजय्या, डॉ कमला नागराजय्या तथा साहित्य विमर्शक डॉ नरहल्ली बालसुब्रमण्यम ने विचार रखें। इस अवसर पर सपना बूक हाउस के प्रबंध निदेशक नितिन शाह उपस्थित थे।

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