अब इस राज्य में टीवी चैनल नहीं कर पाएंगे सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण
बैंगलोरPublished: Oct 09, 2019 06:34:15 pm
विस अध्यक्ष speaker ने लगाई रोक, phone या camera से नहीं कर सकते सदन की कार्यवाही की recording
बेंगलूरु. कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही का अब सीधा प्रसारण टीवी चैनलों पर नहीं हो पाएगा। विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने बुधवार को निजी चैनलों पर सदन की कार्यवाही के लाइव प्रसारण पर रोक लगाने के आदेश दिए। निजी चैनलों के कैमरे अब विधानसभा में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। मीडिया सदन की कार्यवाही की रिकार्डिंग नहीं कर सकता। टीवी चैनलों को बाद में कार्यवाही का वीडियो फुटेज उपलब्ध कराया जाएगा। हालांकि, निजी टीवी चैनलों के पत्रकारों के सदन में प्रवेश पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है, लेकिन उन्हें सदन के अंदर वीडियो बनाने की अनुमति नहीं होगी। गुरुवार से शुरू होने वाले विधानमंडल के तीन दिवसीय विशेष सत्र से एक दिन पहले सदन की कार्यवाही के लाइव प्रसारण पर रोक लगाई गई है।
कागेरी ने कहा कि ‘हां, हमने सदन के अंदर कैमरे के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। सदन की तमाम कार्यवाही की रिकॉर्डिंग की जाएगी और पत्रकार विधानसभा सचिवालय से विजुअल्स ले सकेंगे। कैमरापर्सन को विधानसभा और विधान परिषद में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।’ अध्यक्ष ने कहा कि प्रेस दीर्घा में पत्रकारों को बैठने की अनुमति है, लेकिन निजी टीवी चैनलों को कैमरा लाने की इजाजत नहीं है। वे सदन की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग मोबाइल फोन से भी नहीं कर सकते हैं। लोकसभा और राज्यसभा टीवी की तरह कार्यवाही का फुटेज टीवी चैनलों को विधानसभा सचिवालय की ओर दिया जाएगा।
25 साल से हो रहा था लाइव प्रसारण
लगभग 25 साल बाद यह नौबत आई है जब निजी टीवी चैनलों को सदन की कार्यवाही के सीधा प्रसारण करने से रोका गया है। वर्ष 1994 में कांग्रेस के शासनकाल के दौरान तत्कालीन विस अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने निजी टीवी चैनलों को सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने की अनुमति दी थी। तब से यह सिलसिला चला आ रहा था।
अलोकतांत्रिक कदम: रमेश कुमार
रमेश कुमार ने इस प्रतिबंध को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि यह कदम ‘अलोकतांत्रिक’ है। उन्होंने कहा कि ‘विचार यह था कि मुझे (जनप्रतिनिधियों को) चुनने वाले यह देखें कि सदन के अंदर मैं किस तरह का व्यवहार करता हंू। अगर मेरा व्यवहार जनता की अपेक्षाओं के विपरीत है तो वे यह फैसला कर सकेंगे कि समय आने पर मेरे साथ कैसा व्यवहार करना है। हम जनता को ना तो डरा सकते हैं और ना ही कोई जोड़-तोड़ कर सकते हैं। कैमरे से खुद को बचाना या सदन में क्या हो रहा है, उसके प्रसारण पर रोक लगाना लोकतंत्र के खिलाफ है।’