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जैन शास्त्रों में प्रभु दर्शन व पूजा का विशेष महत्व -साध्वी तत्वत्रयाश्री

locationबैंगलोरPublished: Sep 23, 2021 07:20:55 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

धर्मसभा

जैन शास्त्रों में प्रभु दर्शन व पूजा का विशेष महत्व -साध्वी तत्वत्रयाश्री

जैन शास्त्रों में प्रभु दर्शन व पूजा का विशेष महत्व -साध्वी तत्वत्रयाश्री

बेंगलूरु. मागड़ी रोड स्थित मंदिर में विराजित साध्वी तत्वत्रयाश्री एवं साध्वी गोयमरत्नाश्री की प्रवचन शृंखला जारी है। बुधवार को साध्वी तत्वत्रयाश्री ने कहा कि जिस तरह दूध में शक्कर डालने से वह उसमें मिल जाती है। उसी तरह हमें भी प्रभु भक्ति में घुल मिल जाना है। जैन शास्त्रों में प्रभु दर्शन व पूजा का विशेष महत्व है जिन प्रतिमा की पूजा व जिन दर्शन से व्यक्ति को बहुत कुछ मिल जाता है। सिर्फ भारतीय संस्कृति में ही जिन मंदिर, जिन प्रतिमा एवं साधु संतों के दर्शन होते हैं अनार्य देशों की संस्कृति में प्रभु दर्शन, संतो के दर्शन, और संस्कृति के दर्शन असंभव हैं। धर्म प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को कठिन प्रयास करना पड़ता है, श्रद्धा परम दुर्लभ है अथक प्रयास के बाद व्यक्ति में श्रद्धा जागृत होती है और वह अपने धर्म के प्रति निष्ठावान होकर धर्म क्षेत्र में सर्वस्व समर्पित करता है। हमने अपने जीवन में कई मित्र बनाए हं पर अपनी आत्मा के कल्याण के लिए एक भी कल्याण मित्र नहीं बनाया, सिर्फ कल्याण मित्र ही हमें गलत मार्ग पर जाने से रोकता है। सद्मार्ग पर ले जाकर अपनी आत्मा के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। भावना से ही बुरे भवों का नाश होता है। हमारा मन मजबूत होगा तब ही हम शिखर तक कि यात्रा कर पाएंगे। इंदरचंद गादिया ने बताया कि रविवार को साध्वी की निश्रा में चैत्य परिपाटी का आयोजन होगा।
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