शहर यातायात पुलिस विभाग के एक अध्ययन से पता चला है कि हादसों में ज्यादातर दोपहिया वाहन सवार थे। मरने वालों में 328 बाइक सवार थे, जबकि बाइक पर पीछे बैठने वालों में 76 लोगों की मौत हुई थी। यही नहीं वर्ष 2021 में विभिन्न दुर्घटनाओं में 61 पैदल चलने वालों की भी मौत हो गई।
पुलिस के अनुसार, दोपहिया वाहन चालकों के साथ हुए घातक सडक़ हादसों के प्रमुख कारणों में चालकों के बीच सडक़ सुरक्षा जागरूकता की कमी और तेज गति और लापरवाही से वाहन चलाना प्रमुख कारण थे।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (यातायात) बीआर रविकांत गौड़ा के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दुपहिया वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं का दूसरा सबसे बड़ा कारण बिना हेलमेट के गाड़ी चलाना है। वाहनों में रियरव्यू मिरर की कमी भी कई दुर्घटनाओं का कारण बनी।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (यातायात) बीआर रविकांत गौड़ा के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि दुपहिया वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं का दूसरा सबसे बड़ा कारण बिना हेलमेट के गाड़ी चलाना है। वाहनों में रियरव्यू मिरर की कमी भी कई दुर्घटनाओं का कारण बनी।
बता दें कि वर्ष 2020 में सडक़ हादसों में कम से कम 675 लोगों की मौत हुई थी। इनमें से 332 बाइक सवार थे, 80 लोग बाइक पर पीछे बैठे थे और 164 पैदल यात्री थे।
इसी तरह, 2019 में 832 लोगों की मौत हुई, जिनमें से 408 बाइक सवार और 76 लोग उनके साथ बाइक पर सवार थे और 273 पैदल यात्री थे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, भारत में 2020 में सडक़ दुर्घटनाओं में लापरवाही से हुई मौतों के 1.20 लाख मामले दर्ज किए गए। विश्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में सडक़ दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में सडक़ दुर्घटनाओं में होने वाली वैश्विक मौतों का लगभग 11 प्रतिशत हिस्सा है। मालूम हो कि भारत में हर साल लगभग 4.5 लाख सडक़ दुर्घटनाएं होती हैं जिनमें 1.5 लाख लोग मारे जाते हैं।