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मुनि-साध्वियों का विहार मार्ग में आध्यात्मिक मिलन

locationबैंगलोरPublished: Jul 21, 2018 06:02:32 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

दोनों ने एक दूसरे के चातुर्मास के लिए मंगल कामना की

milan

मुनि-साध्वियों का विहार मार्ग में आध्यात्मिक मिलन

बेंगलूरु. मुनि रणजीत कुमार व मुनि रमेश कुमार का शुक्रवार को राजाजीनगर से महालक्ष्मी लेआउट जाते समय रास्ते में साध्वी संयमलता आदि ठाणा 4 से आध्यात्मिक मिलन हुआ। साध्वियों ने मुनिवृंदों को वंदना करते हुए स्वास्थ्य जानकारी ली। दोनों ने एक दूसरे के चातुर्मास के लिए मंगल कामना की।
इस मौके पर तेयुप अध्यक्ष चंद्रेश मांडोत, तेयुप टी दासरहल्ली अध्यक्ष भगवतीलाल मांडोत सभा अध्यक्ष लादूलाल बाबेल सहित अन्य पदाधिकारी व सदस्य साथ थे। तेयुप राजाजीनगर के तत्वावधान में शनिवार को रात्रि 8.30 बजे मुनि रणजीत कुमार, मुनि रमेश कुमार के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में व्यक्तित्व विकास कार्यशाला आयोजित होगाी।

यशवंतपुर में मुनि रणजीत कुमार का चातुर्मास प्रवेश 23 को
बेंगलूरु. मुनि रणजीत कुमार व मुनि रमेश कुमार का चातुर्मासिक मंगल प्रवेश 23 जुलाई को सुबह 9 बजे मेवाड़ भवन से शुरू होकर सद्भावना व अहिंसा रैली के साथ तेरापंथ सभा भवन यशवंतपुर में होगा। तेरापंथ सभा भवन यशवंतपुर में सुबह 9.30 बजे स्वागत समारोह आयोजित होगा। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में महासभा उपाध्यक्ष कन्हैयालाल गिडिय़ा, विशिष्ट अतिथि गांधीनगर सभा अध्यक्ष मूलचंद नाहर, स्थानकवासी समाज अध्यक्ष सुमेरचंद मुणोत, मूर्ति पूजक समाज अध्यक्ष मूलचंद कटारिया, अणुव्रत समिति अध्यक्ष कन्हैयालाल चिप्पड़ व मुख्य वक्ता मनोहर छाजेड़ होंगे। अध्यक्षता तेरापंथ सभा अध्यक्ष प्रकाशचंद बाबेल करेंगे।
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आनंद है तो जीवन धन्य
बेंगलूरु. मावल्ली में उपाध्याय रविन्द्र मुनि ने कहा कि जीवन अनमोल है पर तभी जब हम होशवन्त हों, प्रमत्तविहीन हों। महावीर की साधना का मूल आधार अप्रमत्तता ही है। सब प्रमादों को छोड़कर जीवन को होश में जीना मूल्यवान है। पूरे दिन में एक मिनट का पूर्ण होश भी जीवन को अत्यधिक ऊर्जा से भरने का सहज कार्य कर देती है।
उन्होंने कहा कि जीवन मूल्यवान है इसीलिए भगवान ने हम सबको होश में जीने के सूत्र दिए हैं। जो भी व्यक्ति जीवन के मूल्य को समझ लेगा वह जीवन के हरेक पल को सार्थक बनाने को तैयार हो जाएगा। मुनि ने कहा कि जिस मृत्यु को हम अंतिम सत्य माने हुए हैं वह केवल जीवन के प्रति बेहोशी का नाम है। अन्यथा मृत्यु जैसी कोई चीज नहीं होती।
हम सब स्वयं से प्रश्न करें कि क्या हमारे जीवन में आनन्द है, क्या उत्सव हमारी जाति है, आनन्द हमारा गोत्र है। अगर सकारात्मक जवाब मिलता है तो आप धन्य हैं, अगर नकारात्मक उत्तर मिले तो हमे सुधार की जरूरत है। हम सब जीवन की मूल्यवत्ता को समझें और समझकर उसका उचित मूल्य जो है उसे चुकता करें। उचित मूल्य यही है कि हम सब होश में जीना सीखें।
संचालन महावीर भिलवाडिय़ा ने किया। वद्र्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चिकपेट शाखा के महामंत्री गौतमचंद धारीवाल ने बताया कि शनिवार को अपराह्न 3 बजे मुनिवृन्द पद विहार कर शांतिनगर स्थित लुणावत स्थानक भवन पहुंचेंगे।

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