scriptसाधना में स्थिरता और अभ्यास जरूरी-साध्वी डॉ. सुप्रिया | Stability and practice is necessary in cultivation - Sadhvi Dr. Supriy | Patrika News

साधना में स्थिरता और अभ्यास जरूरी-साध्वी डॉ. सुप्रिया

locationबैंगलोरPublished: Sep 17, 2021 07:13:43 am

Submitted by:

Yogesh Sharma

धर्मसभा का आयोजन

,

साधना में स्थिरता और अभ्यास जरूरी-साध्वी डॉ. सुप्रिया,साधना में स्थिरता और अभ्यास जरूरी-साध्वी डॉ. सुप्रिया

बेंगलूरु. राजाजीनगर जैन स्थानक में विराजित साध्वी सुमित्रा के सान्निध्य में गुरु आत्म-शुक्ल-शिव जन्मोत्सव के चार दिवसीय कार्यक्रम का प्रथम दिन ध्यान साधना दिवस के रूप में मनाया गया। साध्वी डॉ. सुप्रिया ने ध्यान साधना कराने के पश्चात अपने प्रवचन में कहा कि भारतीय परम्परा में ध्यान-साधना का अस्तित्व अति प्राचीनकाल से रहा है। जैन परम्परा में ध्यान का अधिक महत्व है। जैनाचार्यों ने ध्यान को साधना का मस्तिष्क माना है। जिस प्रकार मस्तिष्क के निष्क्रिय हो जाने पर मानव जीवन का कोई अर्थ नहीं रह जाता है उसी प्रकार ध्यान के अभाव में साधना का कोई अर्थ नही रह जाता है। जीवन में कई बार मन बहुत विचलित हो जाता है और उसको शांत करने का कोई उपाय हमें नहीं मिल पाता है, जिसके कारण हमारे लिए कई और समस्याएं भी उत्पन्न होने लगती हैं। इसका एक बेहतर उपाय है ध्यान साधना करना। जिस प्रकार जिनवाणी बार बार श्रवण करने से नहीं, श्रवण कर उसे आचरण में लाने से लाभ मिलता है। उसी प्रकार जब तक हम ध्यान साधना का स्थिरता से निरंतर अभ्यास नहीं करेंगे इसका कोई भी लाभ मिलने वाला नहीं है। ध्यान साधना में मन वचन और काया की स्थिरता जरूरीहै।

साधना में स्थिरता और अभ्यास जरूरी-साध्वी डॉ. सुप्रिया
उन्होंने कहा कि साधना के तीन गुण बताए गए हैं। पहला ध्यान साधना से आत्मा से कर्मों के मैल दूर हो जाते हैं। दूसरा ध्यान साधना से हमारे स्वभाव में विनम्रता आ जाती है। तीसरा गुण आत्मा के अंदर आश्रव का पानी आना बंद हो जाता है। साधना से आत्मा को कलुषित करने वाले पापों का अंत हो जाता है। साधना से कर्मों का क्षय होता है और आत्मा में विशुद्धता आती है। साध्वी सुविधि ने ‘प्रभु तेरे चरणों में कोई नहीं फरियाद’ स्तवन से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। लकी ड्रॉ विजेताओं को गुरु भक्त की ओर से पुरस्कार प्रदान किया गए। नेमीचंद दलाल ने बताया कि चार दिवसीय गुरु जन्मोत्सव के आयोजन में शुक्रवार को दूसरे दिन 36 गुरु वंदना एवं एकासन दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस अवसर पर संघ के महावीरचंद धोका, शांतिलाल चाणोदिया, जंबुकुमार दुग्गड उपस्थित थे। संचालन किशोर दलाल ने किया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो