सिरोया ने इसे हिंदू भावनाओं को आहत करने वाले फिल्म बताते हुए कहा कि सिर्फ राजस्थान ही नहीं, देश के अन्य राज्यों में रहने वाले करोड़ों हिंदुओं के लिए रानी पद्मावती वीरता, हिम्मत, नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों की प्रतीक रही हैं। रानी पद्मावती को फिल्म में गलत तरीके से चित्रित करना पूरे देश की महिलाओं का अपमान है।
अधिवेशन में उठाएंगे मसला
सिरोया ने कहा कि वे सोमवार से बेलगावी में शुरु होने वाले विधानमंडल के शीतकालीन अधिवेशन में भी इस मसले को उठाएंगे और सरकार से फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग करेंगे।
दी आंदोलन की चेतावनी
राज्य में विवादित फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने के लिए सरकार से अपील करते हुए सिरोया ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने फिल्म के प्रदर्शन को अनुमति दी तो वे लोगों के साथ सडक़ पर उतरेंगे। सिरोया ने उम्मीद जताई कि लोगों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाएंगे।
फिल्मों में गलत चित्रण अस्वीकार्य
सिरोया ने कहा कि फिल्मों में हिंदू राजाओं और रानियों को बुरे और नकारात्मक भूमिका में चित्रित करने का रवैया निंदनीय है और इससे करोड़ों लोगों की भूमिकाएं आहत होती हैं। सिरोया ने कहा कि ऐसी चीजों को कला और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम प्रस्तुत करने की कोशिश की जाती है लेकिन लोगों की भावनाओं का ख्याल नहीं रखा जाता है।
सिरोया ने कहा कि जब तक समाज ऐसे गलत प्रयासों के खिलाफ मुखर नहीं होगा, फिल्मों में इतिहास को तोड़-मरोड़ को पेश करने का सिलसिला नहीं थमेगा। सिरोया ने कहा कि कला के नाम पर इतिहास और तथ्यों से खिलवाड़ ना हो इसके लिए भी सरकार को पहल करना चाहिए।
स्वाभिमान पदयात्रा १५ को
इस बीच, श्री राष्ट्रीय राजपूत करनी सेना की प्रदेश इकाई ने फिल्म के प्रदर्शन के खिलाफ १५ नवम्बर को स्वाभिमान पदयात्रा आयोजित करने की घोषणा की है। सुबह ८ बजे टाउन हॉल से शुरु होने वाली पदयात्रा फ्रीडम पार्क आकर सभा में तब्दील हो जाएगी। शनिवार को भी राष्ट्रीय क्षत्रिय महासभा समाजोत्थान समिति ने भी फिल्म पर रोक लगाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था।