पेट्रोलियम उत्पादों पर राज्य सरकारें घटाएं कर : मोहन दास पै
बैंगलोरPublished: Sep 10, 2018 12:40:36 am
जब तेल की कीमतों में गिरावट आई थी तब सरकार ने जो कर लगाया उसका उपयोग सड़कों के निर्माण और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में हो रहा है।
पेट्रोलियम उत्पादों पर राज्य सरकारें घटाएं कर : मोहन दास पै
बेंगलूरु. कारपोरेट सलाहकार टी वी मोहन दास पै ने कहा, तेल की कीमतों में होने वाली वृद्धि अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निर्भर है। जब रुपए का अवमूल्यन होता है तब भारत पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने के लिए करों में कटौती की जानी चाहिए। करों में कटौती की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर अधिक है क्योंकि, तेल की कीमतों में जब बढ़ोत्तरी होती है तो राज्य सरकारों के कर की दर भी बढ़ जाती है। भारत सरकार का कर निश्चित है और उसमें कोई कमी-वृद्धि नहीं होती। इसलिए राज्य सरकार को ही करों में कटौती के लिए कदम उठाना चाहिए। जहां तक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का सवाल है तो हर व्यक्ति को थोड़ा अधिक खर्च करना पड़ेगा। खपत में गिरावट आएगी। कीमतें ऊपर जाएंगी क्योंकि माल ढुलाई पर व्यय बढ़ेगा और सीधा असर उत्पाद की कीमतों पर होगा। इसके लिए केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार नहीं है।
जब तेल की कीमतों में गिरावट आई थी तब सरकार ने जो कर लगाया उसका उपयोग सड़कों के निर्माण और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में हो रहा है। देश और उपभोक्ताओं को राज्य सरकार की नीतियों का खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। अगर राज्य सरकारें भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर कर की दर फिक्स कर दें तो कीमतें इतनी नहीं बढ़ेंगी। हालांकि, अगले दो महीने में परिस्थितियां बदलेंगी। अभी जो समस्या सामने आई है यह ईरान के चलते आई है। उम्मीद है कि अगले दो महीने में इसमें सुधार हो जाएगा। जहां तक बंद की बात है तो इससे देश को नुकसान है। इसमें राजनीतिक पार्टियों का कुछ निहित स्वार्थ है लेकिन इससे देश को ही नुकसान होगा। देश के हर व्यक्ति को काम करना चाहिए। बंद में शामिल होने का कोई मतलब नहीं है इससे गरीबों को काफी नुकसान होता है। बंद आहूत करने वालों को तो कोई नुकसान नहीं होता लेकिन गरीब ***** जाते हैं क्योंकि उनकी आमदनी ठप हो जाती है।