राज्य सरकार के हाथों में आएगी नियुक्ति
बैंगलोरPublished: Feb 15, 2020 08:32:21 pm
बजट सत्र में पेश किए जानेवाले विश्वविद्यालय संशोधित विधेयक के आड़ में राज्य सरकार का विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा व्याख्याताओं की नियुक्ति का अधिकार अपने पास रखने का इरादा है। अगर यह संशोधित विधेयक पारित किया जाता है तो राज्यपाल तथा कुलपतियों की नियुक्ति में कोई भूमिका नहीं होगी। राज्य सरकार की ओर से चयनित कुलपतियों के नाम पर केवल मुहर लगाने तक ही राज्यपाल का काम सीमित होगा।
राज्य सरकार के हाथों में आएगी नियुक्ति
बेंगलूरु. बजट सत्र में पेश किए जानेवाले विश्वविद्यालय संशोधित विधेयक के आड़ में राज्य सरकार का विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति तथा व्याख्याताओं की नियुक्ति का अधिकार अपने पास रखने का इरादा है। अगर यह संशोधित विधेयक पारित किया जाता है तो राज्यपाल तथा कुलपतियों की नियुक्ति में कोई भूमिका नहीं होगी। राज्य सरकार की ओर से चयनित कुलपतियों के नाम पर केवल मुहर लगाने तक ही राज्यपाल का काम सीमित होगा।
विश्वविद्यालयों में कुलपति तथा व्याख्याताओं की नियुक्ति को लेकर हो रही जातिगत राजनीति पर अंकुश लगाने के साथ-साथ यहां की शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार चाहती है कि कुलपति तथा व्याख्याताओं की नियुक्ति का अधिकार सरकार के पास रहें। इसी लक्ष्य को लेकर यह संशोधित कानून लाया जा रहा है।
कुलपतियों के चयन के लिए मौजूदा चयन समिति के बदले मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति कुलपतियों का चयन करेगी। किसी विवि का कुलपति का पद रिक्त होते ही कुलपति पद के लिए सक्षम 100 वरिष्ठ व्याख्याताओं की सूची मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति के सामने पेश की जाएगी। समिति कुलपति का चयन कर मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजेगी। इस संशोधित कानून के तहत राज्य सरकार की ओर से भेजे गए नाम को राज्यपाल को मंजूर करना ही होगा। साथ में इसी प्रक्रिया के तहत कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण के माध्यम से विवि व्याख्याताओं की नियुुक्ति की जाएगी।