सिद्धी भी क्षेत्र पर निर्भर करती है
बेंगलूरु. सुराणानगर स्थित पाश्र्व सुशील धाम के तत्वावधान में विराजित आचार्य भव्यदर्शन सूरी ने उपप्रधान तप के साधकों को प्रवचन में कहा कि अपने अपने क्षेत्र की सिद्धि भिन्न-भिन्न होती है। सिद्धि पाने के लिए माध्यम भी भिन्न-भिन्न होते हैं। कई क्षेत्रों में सिद्धि प्राप्त करने के लिए बुद्धि की प्रधानता होती है तो कई जगह कठोर परिश्रम की जरूरत होती है। धार्मिक क्षेत्र की बात करें तो वहां पर मात्र बुद्धि काम नहीं आती। वहां आपके पास श्रद्धा और शुद्धि चाहिए। श्रद्धा की नींव के ऊपर धार्मिक इमारत खड़ी करके अनुकृल प्रसार किया तो आत्म शुद्धि संभावित बनती है। जब आत्म शुद्धि होती है तब सिद्धि के सोपान चढऩे में सफलता मिलती है।
बेंगलूरु. सुराणानगर स्थित पाश्र्व सुशील धाम के तत्वावधान में विराजित आचार्य भव्यदर्शन सूरी ने उपप्रधान तप के साधकों को प्रवचन में कहा कि अपने अपने क्षेत्र की सिद्धि भिन्न-भिन्न होती है। सिद्धि पाने के लिए माध्यम भी भिन्न-भिन्न होते हैं। कई क्षेत्रों में सिद्धि प्राप्त करने के लिए बुद्धि की प्रधानता होती है तो कई जगह कठोर परिश्रम की जरूरत होती है। धार्मिक क्षेत्र की बात करें तो वहां पर मात्र बुद्धि काम नहीं आती। वहां आपके पास श्रद्धा और शुद्धि चाहिए। श्रद्धा की नींव के ऊपर धार्मिक इमारत खड़ी करके अनुकृल प्रसार किया तो आत्म शुद्धि संभावित बनती है। जब आत्म शुद्धि होती है तब सिद्धि के सोपान चढऩे में सफलता मिलती है।