परिमला के माता-पिता बचपन में स्वर्गवास हो गए थे। परिमाल का विवाह भी नहीं हुआ था। सेवा निवृत्त होने के बाद वह बल्लारी के राम नगर में अपने एक भूखन्ड में झोंंपडी बनाकर रहने लगी थी। इस स्कूल के पुराने छात्रों ने मिलकर एक संघ बनाया था। इस संघ के जरिए हर माह गुरु वन्दना कार्यक्रम आयोजित किया जाता था। इस कार्यक्रम के तहत शिक्षकों का सम्मान, विभिन्न क्षेत्रों में सेवा और योगदान देने वालों का सम्मान, गरीब छात्रों की सहायता की जाती थी। इस संघ को सूचना मिली कि उनकी शिक्षक परिमला कच्ची झोंपडी में रहती है।
संघ के सभी पदाधिकारियों ने रुपए जमा किए और केवल तीन माह में 10 लाख रुपए खर्च कर परिमला के लिए भव्य मकान निर्मित कर दिया। इस संघ में हजारों सदस्य है। इस स्कूल में शिक्षा प्राप्त किए छात्र आज बडे पदों पर कार्यरत है और कुछ छात्र विदेश में काम कर रहे है। परिमला ने बताया कि उसके छात्रों ने उसके लिए आवास निर्मित कर श्रेष्ठ कार्य किया है।