मतगणना मेज पर ईवीएम के पहुंचने के बाद चुनाव अधिकारी सील की जांच कर सुनिश्चित करता है कि मशीन से छेड़छाड़ नहीं की गई है। इसके बाद ही मतों की गिनती की प्रक्रिया आगे बढ़ती है।
वोटों की गिनती के लिए इवीएम की सेल्फ कंट्रोल यूनिट की जरूरत होती है ईवीएम की बैलट यूनिट को वापस स्ट्रांग रूम भेज दिया जाता है।
वोटों की गिनती में लगे सरकारी कर्मचारियों और वहां मौजूद उम्मीदवारों के एजेंटों के बीच तारों की बाड़ लगी होती है ताकि एजेंट इवीएम से छेड़छाड़ न कर सकें।
मतगणना केंद्र पर मौजूद हर मेज पर एक सरकारी अधिकारी निगरानी के लिए मौजूद रहता है। इसके अलावा हर उम्मीदवार का एक पोलिंग एजेंट भी तारों की बाड़ के दूसरी ओर मौजूद रहता है।
सील जांच के बाद मतगणना कर्मी सबसे पहले ईवीएम को ऑन करता है इसके बाद वह रिजल्ट बटन को दबाता है। इससे यह पता चलता है कि किस उम्मीदवार के पक्ष में कितने वोट पड़े हैं। उम्मीदवारों को मिले वोटों की संख्या को फॉर्म नंबर 17 में दर्ज किया जाता है। इस फॉर्म पर फिर उम्मीदवारों के एजेंट दस्तखत करते हैं। इसके बाद वह फार्म रिटर्निंग ऑफिसर को भेज दिया जाता है। सभी मेंजो पर यह प्रक्रिया अपनाई जाती है इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर हर राउंड में मतों की गिनती दर्ज करता जाता है। इस नतीजे को हर राउंड के बाद ब्लैक बोर्ड पर दर्ज किया जाता है और लाउड स्पीकर की मदद से उसकी घोषणा भी होती है।
हर राउंड के बाद नतीजे के बारे में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सूचना दी जाती है, ऐसा मतगणना खत्म होने के बाद तक होता है।
इस वर्ष पहली बार वीवीपैट पर्चियों की भी गिनती होगी और उसे ईवीएम में दर्ज वोटों की संख्या से मिलान किया जाएगा ताकि धांधली की भ्रामकता का निवारण हो।
कर्नाटक में मतगणना का लेखा जोखा 28 मतगणना केंद्र बनाए गए हैं पूरे राज्य में
3224 टेबलों पर होगी मतगणना
4215 राउंड तक चलेगी मतगणना
3672 मतगणना पर्यवेक्षण हुए हैं नियुक्त
3707 मतगणना सहायकों की नियुक्ति
3780 माइक्रो ऑब्जर्वर्स रखेंगे पैनी नजर