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चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम पर फिर पड़ेगी निगाह, जानिए क्यों?

locationबैंगलोरPublished: Oct 05, 2019 06:03:16 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर हुआ सूर्योदय, chandryaan-2 के orbiter और नासा के LRO से होंगे प्रयास

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बेंगलूरु. चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव के उस हिस्से पर फिर सूर्योदय हो चुका है जहां चंद्रयान-2 chandryaan-2 के लैंडर विक्रम lander vikram ने हार्ड लैंडिंग की थी। पिछले 20 सितम्बर को सूर्यास्त के बाद यह इलाका पूरी तरह अंधेरे में डूब गया था और तापमान भी काफी नीचे (माइनस 180 डिग्री) चला गया होगा। लेकिन, अब वहां फिर एक बार उजाला हो गया है। अब लैंडर विक्रम की तस्वीर लेने अथवा संपर्क साधने की एक और कोशिश होगी।
लैंडर विक्रम को चांद के दक्षिणी धु्रव पर दो क्रेटरों मैंजेनेंस सी और सिंपैलियस एन के बीच सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को इसमें शत-प्रतिशत कामयाबी नहीं मिली। हार्ड लैंडिंग के बाद दक्षिणी धु्रव के अंधेरे में डूबने से पहले तक लैंडर से संपर्क साधने की लगातार कोशिशें होती रहीं लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिली। चंद्रयान-2 के आर्बिटर के अलावा नासा का लूनर रिकनेशां आर्बिटर (एलआरओ) भी विक्रम के ऊपर से गुजरा लेकिन उसकी तस्वीरें लेने में नाकाम रहा क्योंकि उस समय चांद वह हिस्सा धुंधलके में डूब चुका था।
इस बार मिलेंगे 13 दिन
भारतीय ताराभौतिकी संस्थान के प्रोफेसर (सेनि) रमेश कपूर ने बताया कि 5 अक्टूबर को मेंजेनेंस सी के्रटर पर फिर से सूर्योदय हो गया है। वहां 18 अक्टूबर तक रोशनी बनी रहेगी। उसके बाद छायाएं इतनी लंबी हो जाएंगी और कि वह सूर्यास्त जैसा होगा। इसलिए इसरो अथवा नासा के पास एक बार 13 दिन का समय है। उम्मीदें बहुत कम है लेकिन अगर विक्रम से संकेत मिला तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। अनुमान है कि चंद्रयान-2 के आर्बिटर को सूर्योदय के समय ही मेंजेनेंस सी के ऊपर से गुजरना चाहिए। वहीं, नासा का एलआरओ मिशन 14 अक्टूबर को वहां से गुजरेगा। उस समय वहां पर सूर्य का उन्नातांश अच्छा रहेगा। बल्कि, इतना अधिक रहेगा कि चांद के उस स्थल की साफ तस्वीरें ली जा सकेंगी जहां विक्रम के होने का अनुमान है।

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एचआरसी की निगाह से बच नहीं सकता विक्रम
विक्रम से संपर्क साधने के लिए ब्यालालू स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क IDSN समय-समय पर संकेत भेजता रहा है। वहीं, नासा के डीप स्पेश नेटवर्क एंटीना से भी सिग्नल भेजे जाते रहे हैं लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। आर्बिटर से संपर्क बना हुआ है और इसरो ने उसके हाइ रिजोल्यूशन कैमरा HRC द्वारा ली गई तस्वीरें भी जारी की है। इस कैमरे की विभेदन क्षमता 30 सेंटीमीटर है। यानी, चांद की धरती पर एक मीटर से तीन गुणा छोटी वस्तु भी है तो आर्बिटर का कैमरा उसे देख सकता है। चूंकि, लैंडर विक्रम का आकार लगभग 2 मीटर से बड़ा है इसलिए उसकी तस्वीर जरूर ली जा सकती है बशर्ते टूटकर नहीं बिखरा हो। सूत्रों के मुताबिक लैंडर के एक बड़े भाग को बहुत अधिक क्षति नहीं पहुंची है। आर्बिटर के अलावा नासा का एलआरओ भी अगर विक्रम से संपर्क स्थापित नहीं कर पाया तो तस्वीरें लेने की कोशिश जरूर करेगा।
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